
21 अक्टूबर को गाड़ी लेने पहुंचा तो गाड़ी उपलब्ध नहीं थी। 22 को डीलर के ब्रांच मैनेजर ने गाड़ी आने की सूचना देकर उन्हें बुलाया। प्रार्थी ने अपनी प्रतिनिधि भेजकर गाड़ी दिखवाई, तो पता चला कि 9 के स्थान पर गाड़ी में 7 लोगों के बैठने की व्यवस्था है। इसकी जानकारी देने पर सेल्स मैनेजर ने भिलाई स्थित शोरूम में उसे 9 सीटर में बदलने का आश्वासन दिया, लेकिन गाड़ी में स्पेस ज्यादा नहीं होने की वजह से उसे 9 सीटर नहीं बनाया जा सका, लेकिन गाड़ी की डिलिवरी कराके उनसे 10.19 लाख रुपए ले लिया गया।
इस पर प्रार्थी ने जिला उपभोक्ता फोरम में याचिका लगाई। वहां ऑटो डीलर को गाड़ी की रकम लौटाने का आदेश हुआ, जिसे कंपनी के सीईओ ने राज्य उपभोक्ता विवाद आयोग में चुनौती दी थी।