
इस दर्दनाक हादसे मे फैक्ट्री संचालक की तीन वर्षीय मासूम बच्ची चीनी गुप्ता का दर्दनाक दुखांत हो गया। इसके अलावा वहां कार्यरत श्रमिकों की मौत होने की भी आशंका जतायी जा रही है। पटाखा फैक्ट्री में जैसे ही धमाके शुरू हुए तभी कुछ साहसी लोगों ने जान जोखिम में डालकर फैक्ट्री संचालक नीरज गुप्ता 35 वर्ष और उसके भाई हार्दिक गुप्ता 24 वर्ष निवासी पन्ना को किसी तरह बाहर निकाल लिया। गंभीर रूप से झुलसे दोनों भाईयों को जिला चिकित्सालय पन्ना में प्राथमिक उपचार के बाद मेडीकल कालेज जबलपुर के लिये रेफर किया गया है।
उधर इस हादसे की खबर मिलते ही कलेक्टर शिवनारायण सिंह चौहान, पुलिस अधीक्षक ओपी त्रिपाठी तुरंत मौके पर पहुंच गये। बेसमेंट वाली इस एक मंजिला फैक्ट्री में खचाखच पटाखे और कई टन बारूद भरा था, जिसके चलते भीषण ब्लास्ट के करीब तीन घंटे बाद तक पटाखे फूटते रहे। इस बीच दमकल की पांच गाडि़यां आग बुझाने के लिये पानी की बौछारें छोड़ती रहीं। लगभग चार घंटे की मसक्कत के बाद आग पर पूरी तरह काबू पाया गया।
तीसरी पीढ़ी ने गवाईं जान
आतिशबाजी का व्यवसाय कर रहे गुप्ता परिवार के लिये उनका यह पैतृक व्यवसाय पहले भी कई गहरे जख्म दे चुका है। करीब सवा साल पहले नीरज गुप्ता के पन्ना कलेक्ट्रेट के समीप स्थित रिहायशी मकान में रखे पटाखों में भीषण ब्लास्ट होने से पिता सीताराम गुप्ता की मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गयी थी जबकि उसकी मां मुन्नीबाई और दादी गंभीर रूप से झुलस गयी थीं। पड़ोसियों की मानें तो इसके पूर्व नीरज के दादा का भी इसी तरह दुखांत हुआ था। आज हुये दहला देने वाले हादसे में नीरज की मासूम बेटी चीनी की मौत होने के साथ गुप्ता परिवार की तीसरी पीढ़ी पटाखों के कारोबार में अपनी जान गवां चुकी है।
इनका कहना है
सालभर पूर्व प्रषासन ने शहर के बीचों-बीच पटाखे के गोदाम को हटावाया था। जिस स्थान पर यह हादसा हुआ वहां अन्य कोई घर न होने से बड़ी जनहानि नहीं हुई। हादसे में एक बच्ची की मौत हुई है जबकि दो लोग गंभीर रूप से झुलसे है। घटना पर पुलिस ने प्रकरण दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि वहां सिर्फ पटाखों का गोदाम था पटाखे बनते नहीं थे।
शिवनारायण सिंह चौहान
कलेक्टर, पन्ना