सिंहस्थ घोटाला: एक सवाल के 3 जवाब आए, ​किसे सही मानें

इंदौर। सिंहस्थ घोटाले को दबाने के लिए शिवराज सरकार के एक मंत्री होशहुश जरूर कर रहे हैं परंतु सरकार संदेह के दायरे में तेजी से आती जा रही है। मजेदार तो यह है कि एक ही सवाल के सरकार ने 2 या 3 अलग अलग जवाब दिए हैं। विधानसभा में कुछ और जानकारी दी गई और आरटीआई में कुछ और ही बता दिया गया। यदि घोटाला नहीं हुआ तो सवालों के जवाब में विरोधाभास क्यों है। 

कांग्रेस ने एक समीक्षा के दौरान पाया है कि सिंहस्थ में जिन अधिकारियों को निर्णय के अधिकार दिए गए, उनमें से ज्यादातर दागी थे। उनके खिलाफ गंभीर आर्थिक अपराध की शिकायतें दर्ज हैं, लोकायुक्त या ईओडब्ल्यू की जांच चल रही है। इसके अलावा सिंहस्थ मेले के ठेके भी नेताओं के रिश्तेदारों और करीबियों को ही दिए गए। 

गुरुवार को विधायक जीतू पटवारी के राऊ स्थित निवास पर बैठक के दौरान इस घोटाले की जांच के लिए एक कमेटी बनाने का फैसला लिया गया, जिसमें सात सदस्य होंगे। वे गड़बड़ी से जुड़ी सारी जानकारी और तथ्य जुटाएंगे। बैठक में कहा गया कि अगले विधानसभा सत्र में कांग्रेस इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाएगी। पहली बैठक में प्रश्नसूची तैयार की गई, जो जवाब सिंहस्थ के कामों को लेकर सरकार ने दिए हैं, उनका बारीकी से अध्ययन किया गया।

बैठक में विधायक बाला बच्चन, रामनिवास रावत, मुकेश नायक, रजनीश सिंह, केके मिश्रा, जीतू पटवारी ने भी अपनी बात रखी। सदस्यों ने तय किया कि सिंहस्थ से जुड़े कामों के बारे में 26 प्रश्न लगाए गए थे। उसमें से 6 के उत्तर नहीं दिए गए, जिनके जवाब आए, वो भी सूचना के अधिकार, विधानसभा प्रश्न और विभागीय दस्तावेजों में अलग हैं।

इन मुद्दों पर सरकार को घेरेगी कांग्रेस
सरकार ने जवाब दिया कि सिंहस्थ के काम अलग-अलग कमेटियों से कराए गए, लेकिन कमेटियों के अध्यक्ष कौन थे, काम किसके आदेश पर हुए। इसकी जानकारी कमेटी जुटाएगी।
कितने कामों के लिए टेंडर बुलाए गए। कितने ठेके सीधे दे दिए गए।
स्वच्छता अभियान के तहत 12 हजार रुपए में शौचालय बन रहे हैं, लेकिन सिंहस्थ में एक शौचालय की लागत 30 हजार रुपए दर्शाई गई। सिंहस्थ शुरू होने के सप्ताहभर में ज्यादातर शौचालय धंस गए।
मेले के दौरान बस सेवा शुरू की गई। उसका ठेका किन लोगों को दिया गया और पेमेंट कितना किया गया।
सिंहस्थ को लेकर अधिकारियों के तबादले किसकी सिफारिश पर हुए।

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