Chirayu Hospital के खिलाफ सरकारी वकील ही नहीं आया, फैसला सुरक्षित

जबलपुर। सीएम शिवराज सिंह चौहान के मित्र कारोबारियों में शामिल चिरायु अस्पताल संचालकों का रुतबा देखिए, हाईकोर्ट में लगी जनहित याचिका में सरकार ने अपना वकील ही नहीं भेजा, जबकि चिरायु अस्पताल की ओर से कांग्रेस द्वारा राज्यसभा में भेजे गए सांसद विवेक कृष्ण तन्खा ने दमदारी से अपना पक्ष रखा। उन्होंने दावा किया कि जहां अस्पताल बना है, वहां कभी तालाब था ही नहीं। चूंकि सरकार की ओर से कोई वकील नहीं आया इसलिए बहस पूर्ण मानकर हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित कर लिया गया।

न्यायमूर्ति एसके गंगेले व जस्टिस एके जोशी की युगलपीठ के समक्ष जनहित याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता सिद्घार्थ गुप्ता ने बहस को गति दी। उन्होंने कहा कि चिरायु मेडिकल कॉलेज को आवंटित भूमि कठघरे में रखे जाने योग्य है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह आवंटन भोपाल की शान बड़े तालाब के जलसंग्रहण क्षेत्र में किया गया है। वर्ष-2008 में जिस तरीके से महज 10 दिन के भीतर समूची प्रक्रिया पूर्ण कर भूमि आवंटन की मंजूरी दी गई, वह रवैया आश्चर्यजनक है। 

जब आवंटन हुआ तब इस बात की भी कोई फिक्र नहीं की गई कि भूमि पर एक-दो नहीं बल्कि पूरे 5000 हरे-भरे वृक्ष लगे हुए हैं। अब चिरायु सोसायटी लीपापोती करते हुए तर्क दे रही है कि इस भूमि पर कोई तालाब कभी नहीं रहा, जो जल एकत्र हुआ है, वह बाजू से गुजरने वाले नाले की वजह से है। यह तर्क किसी भी सूरत में मानने योग्य नहीं है।

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