भोपाल। यदि आप वकील से कहें कि अस्पताल में जाकर इलाज करे, या डॉक्टर को बोलें कि हाथ में बंदूक लेकर गश्त लगाए तो क्या यह उचित होगा। 5वीं पास भी बता सकता है कि यह सर्वदा अनुचित होगा लेकिन बरकतउल्ला विश्वविद्यालय के उच्च शिक्षित प्रबंधन को यह नहीं मालूम। उन्होंने संस्कृत के प्रोफेसर को अंग्रेजी का एचओडी तो फॉर्मेसी के प्रोफसर को टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट का एचओडी बना रखा है।
बीयू में यह गड़बड़ी पिछले पांच साल से चल रही है। स्वभाविक है पढ़ाई क्या खाक हो रही होगी। जो प्रोफेसर जिस विषय की जानकारी ही नहीं रखता, वो एचओडी बना बैठा है। इससे उस विभाग के सिलेबस में बदलाव नहीं हो रहा है। संबंधित विभाग में प्रेक्टीकल की भी दिक्कत होती है।
सूत्रों के मुताबिक ऐसे विभागों में रिसर्च कार्य भी प्रभावित हो रहे हैं। जबकि संबंधित विभागों के प्रोफेसर भी बीयू में हैं। इसके बाद भी दूसरे विषयों के प्रोफेसर को एचओडी बनाया गया है। खास बात यह भी है कि जो जिस विभाग में एचओडी है, वह उस विभाग को छोड़ना भी नहीं चाहता है। विवि प्रबंधन भी इन्हें हटाना नहीं चाहता है।
ये रहीं बेतुकी पोस्टिंग की लिस्ट
एक्वाकल्चर और बायो कैमिस्ट्री विभाग में जेनेटिक्स के प्रोफेसर अशोक मुंजाल एचओडी हैं।
यूआईटी डिपार्टमेंट में फॉर्मेसी के प्रोफेसर अनुपम पाठक को एचओडी है।
मैनेजमेंट डिपार्टमेंट में कामर्स के प्रोफेसर विवेक शर्मा एचओडी हैं।
स्टैम सेल विभाग में बायो साइंस के प्रोफेसर विनय श्रीवास्तव एचओडी है।
बायो मेडिकल में माइक्रो बायोलॉजी के प्रोफेसर एचओडी है।
एजुकेशन डिपार्टमेंट में साइकोलॉजी विषय की नीरजा शर्मा एचओडी हैं।
अंग्रेजी डिपार्टमेंट में संस्कृत विषय के प्रोफेसर केवी पंडा एचओडी हैं।
इनपुट: रामगोपाल सिंह राजपूत, पत्रकार, नवदुनिया, भोपाल
