भोपाल। शिवराज सरकार इन दिनों मिलावट के बदनाम हो रही है। गरीबों के गेंहू में मिट्टी की मिलावट, राशन की दुकान से घटिया चावल के वितरण के बाद अब सरकारी अस्पतालों में बांटी जा रही पैरासिटामाल टैबलेट भी घटिया निकली है। इसमें इतनी दवा ही नहीं है कि मरीज के खून में मौजूद बुखार के वायरस को मार सके, हां कुछ आराम का अहसास जरूर कराती है। इससे पहले पैरासिटामाल सीरप भी अमानक मिला था। सीरप और टैबलेट एक ही कंपनी क्रियेटिव हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड उत्तराखंड के हैं। गौर करने वाली बात यह है कि इन संवेदनशील मामलों पर सीएम शिवराज सिंह का कभी कोई बयान नहीं आता। अलबत्ता कैलाश विजयवर्गीय के यहां भुट्टे छीलने वो राइट टाइम पर पहुंचते दिखाई देते हैं।
बांटने के बाद की गई जांच
स्टेट ड्रग लैब में जांच के बाद पैरासिटामाल 500 एमजी टैबलेट अमानक मिली है। स्वास्थ्य संचालनालय ने सभी जिलों को पत्र लिखकर दवा वापस करने के लिए कहा था। संचालनालय के अधिकारियों ने बताया हर जगह से दवाएं लौटा दी गई हैं। इस दवा का बैच नंबर जीपीटी 5152 है। इस बैच की पौने 3 लाख की दवाएं खरीदी गई थीं।
अप्रैल को पता चल गया था, जुलाई में वापस बुलाई
सूत्रों ने बताया कि पैरासिटामॉल सीरप की खपत ज्यादा है। अमानक मिले पैरासिटामॉल पीडियाट्रिक ओरल सस्पेंशन एक्सपायरी अक्टूबर 2016 है। 30 अप्रैल को जांच में यह दवा अमानक मिली, लेकिन दवा स्टोर्स से दवाएं लौटाने की प्रक्रिया जुलाई में शुरू हुई। यानी ज्यादातर दवा खप चुकी है। सिर्फ यह सीरप ही नहीं पिछले तीन सालों में जितनी भी दवाएं अमानक मिली हैं उनमें ज्यादातर को वापस लेने का काम एक्सपायरी डेट के बाद या एक्सपायरी तिथि के नजदीक शुरू किया गया है।