
न्यायमूर्ति सुजय पॉल की एकलपीठ में मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता छिंदवाड़ा निवासी दीपा महरोलिया और जितेन्द्र गुडारे की ओर से अधिवक्ता उमाशंकर जायसवाल ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि दीपा महरोलिया को अनुकंपा नियुक्ति देने के बाद मनमाने तरीके से वापस ले ली गई। जबकि जितेन्द्र गुडारे को अनुकंपा नियुक्ति का प्रावधान होने के बावजूद नहीं दी गई।
दीपा महरोलिया के पति का निधन होने के बाद अनुकंपा नियुक्त का आवेदन किया गया था। जबकि जितेन्द्र गुडारे के पिता के निधन के बाद अनुकंपा नियुक्ति चाही गई। दोनों मामलों में आरक्षित वर्ग के पद रिक्त न होने का आधार बताकर अनुकंपा नियुक्ति से वंचित किया गया।
जबकि नियमानुसार अनुकंपा नियुक्ति के प्रावधान का पालन किया जाना आवश्यक है, इसके लिए नियमों को शिथिल भी किया जा सकता है। हाईकोर्ट ने उल्लेख किए गए न्यायदृष्टांतों पर गौर करने के बाद दोनों याचिकाओं पर आदेश पारित करते हुए कहा कि 45 दिन के भीतर आरक्षित वर्ग के आवेदकों को अनारिक्षित संवर्ग में अनुकंपा नियुक्ति प्रदान की जाए।