जिहाद इतना ही पवित्र है तो अपने बच्चों को बंदूक क्यों नहीं थमाते अलगाववादी

Bhopal Samachar
श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में हिजबुल मुजाहिद्दीन के आतंकी बुरहान वानी के सुरक्षा बलों के साथ हुई मुठभेड़ में मारे जाने और उसके बाद भड़की हिंसा के बाद एक प्रमुख अलगाववादी नेता के बेटे ने अब अलगावादियों पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं।

जम्मू-कश्मीर में खूनी आतंकवाद का इतिहास लिखने वाले जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के संस्थापकों में शामिल हाशिम कुरैशी के पुत्र जुनैद कुरैशी ने शनिवार को कहा कि अब वक्त आ गया है कि कश्मीरी नौजवान अलगाववादियों से पूछें कि अगर जिहाद और कश्मीर की आजादी के लिए बंदूक उठाना जरूरी है तो फिर वह अपने बच्चों को क्यों नहीं बंदूक थमाते। 

जुनैद खुद भी नीदरलैंड में रहते हैं और एक सक्रिया मानवाधिकारवादी हैं। उन्होंने कहा कि कश्मीरी की आजादी और कश्मीर में जिहाद की दुहाई देने वाले अलगाववादियों के बच्चे मलेशिया, कनाडा, अमेरिका में हैं। कइयों के बच्चे दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु में भविष्य संवार रहे हैं। यह दूसरों के बच्चों को बंदूक उठाकर मरने के लिए उकसाते हैं।

अगर कोई नौजवान मरता है तो यह उसे किसी हीरो की तरह पेश कर आम कश्मीरी के बच्चे को बंदूक उठाने के लिए तैयार करते हैं। विमान को हाईजैक कर पाकिस्तान में उतारने वाले हाशिम कुरैशी के बेटे ने कहा कि मुझे बुरहान की मौत का दुख है। उसके मारे जाने के बाद भड़की हिंसा में 11 युवकों का मारा जाना उससे भी ज्यादा तकलीफदेह है। यह सही है कि कश्मीर में विमुखता है, कश्मीरी नौजवानों में गुस्सा है और उनके अंदर बगावत और विद्रोह की भावना को मैं सही या गलत नहीं ठहराता।

जुनैद ने कहा, कश्मीर में जारी हिंसा और रक्तपात पर रोक लगनी चाहिए, कश्मीर के युवाओं को समझना होगा कि कश्मीर मसले का समाधान केवल बातचीत के जरिए ही सुलझाया जा सकता है।

जुनैद ने कहा, 'कश्मीर के युवाओं को समझना होगा कि बंदूक उठाना किसी भी समस्य़ा का सामाधान नहीं है। वह युवा (बुरहान) मेरे भाई की उम्र का था और वह डॉक्टर, इंजीनियर, लेखक या कवि या फिर एक्टर बन सकता था। अगर घाटी में हो रही चीजों को लेकर लोगों में गुस्सा था तो वह इसके दूसरे तरीके से पेश कर सकता था, लेकिन हिंसा का रास्ता चुनने के बाद आखिर उसने अपनी नियति को गले लगाया।'
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