गृह युद्ध झेलते सूडान के मूल में धार्मिक विघटन

राकेश दुबे@प्रतिदिन। गृह युद्ध झेल रहा दक्षिण सूडान दुनिया का सबसे नया देश है। कई दशकों के रक्तरंजित संघर्ष के बाद सन 2011 में ईसाई बहुल दक्षिण सूडान मुस्लिम बहुल उत्तरी सूडान से अलग हुआ, तो लोगों को यह उम्मीद बंधी कि अब दक्षिण सूडान में शांति स्थापित हो पाएगी, क्योंकि मुस्लिम बहुल सूडान में कई दशकों से गृह युद्ध चल रहा है। दक्षिण सूडान में राष्ट्रपति कीर और उपराष्ट्रपति माचार के समर्थकों के बीच जंग छिड़ गई, जो रुक-रुककर चलती रही है। इस लड़ाई में कबीलाई वफादारी की भी भूमिका है, क्योंकि राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति, दोनों अलग-अलग कबीलों के हैं और उनके समर्थक चुन-चुनकर विरोधी कबीले वालों को मार रहे हैं।

बताया जाता है कि पिछले तीन साल में इस संघर्ष में लगभग 50,000 लोग मारे जा चुके हैं, करीब 20 लाख बेघर हो गए हैं और करीब 50 लाख भुखमरी का सामना कर रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय दबाव और कुछ अन्य वजहों से दोनों नेता एक ही सरकार में साथ-साथ काम तो कर रहे हैं, लेकिन दोनों के बीच और दोनों के समर्थकों के बीच संबंध अच्छे नहीं हैं, इसलिए यह बता पाना मुश्किल है कि दक्षिण सूडान में स्थिति कब सामान्य होगी। इस वक्त तमाम देशों ने अपने-अपने नागरिकों को दक्षिण सूडान से निकालना शुरू कर दिया है। अमेरिका ने अपने तमाम गैर-राजनयिक नागरिकों से देश लौटने को कहा है और उन्हें वहां से लाने के इंतजाम किए हैं। ब्रिटेन ने भी अपने लोगों से दक्षिण सूडान न जाने को कहा है। तमाम यूरोपीय देशों के नागरिक भी अपनी सरकारों की मदद से अपने-अपने देश लौट रहे हैं।

दक्षिण सूडान के हालात बताते हैं कि दुनिया के कई हिस्सों में स्थिति कितनी खराब है। अफ्रीका के कई देश दूसरे विश्व युद्ध के बाद से अब तक लगातार गृह युद्ध की चपेट में हैं। पिछले कुछ वर्षों में दुनिया में संघर्ष बढ़ा है और व्यापार या अन्य वजहों से अंतरराष्ट्रीय प्रवास भी बढ़ा है। ऐसे में, असुरक्षित स्थानों पर फंसे अपने देश के लोगों की सुध लेना एक तरह से स्थायी काम हो गया है। अभी तक अपने नागरिकों को सुरक्षित निकालने का काम पश्चिमी देश ही गंभीरता से करते थे, लेकिन पिछले कुछ समय से भारत भी इस काम को सफलता से कर रहा है। खाड़ी युद्ध के समय कुवैत से जो सिलसिला शुरू हुआ था, उसे बाद में भारत की तकरीबन सभी सरकारों ने अच्छे तरीके से अंजाम दिया है।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।        
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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