भोपाल। मिस्टर बंटाढार और 15 हजार करोड़ के घोटाले का आरोप के मामले में भोपाल की जिला अदालत मानहानि के मुकदमे की सुनवाई कर रही है। वाद दिग्विजय सिंह ने दायर किया है, प्रतिवादी हैं मोदी मंडल की मंत्री उमा भारती। पिछले दिनों दोनों के बीच राजीनामा होने की चर्चा थी परंतु दिग्विजय सिंह ने शर्त रखी कि उमा भारती सार्वजनिक रूप से माफी मांग लें, वो राजीनामा कर लेंगे। इसके बाद केस लटक गया। दोनों तारीख पर तारीख बढ़वा रहे हैं। अब कोर्ट ने उन्हें लास्ट चांस दिया है। या तो राजीनामा कर लें या फिर केस लड़ें और निर्णय तक पहुंचे।
कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान उमा भारती की ओर से अधिवक्ता ने क्रिमिनल प्रोसीजर कोड की धारा 317 के तहत आवेदन पेश कर बताया कि उनकी पक्षकार संसद सदस्य है और रोस्टर इंचार्ज है। संसद का सत्र चल रहा है जिसकी वजह से वे अदालत के समक्ष हाजिर नहीं हो सकीं हैं। आवेदन के समर्थन में उमा भारती के निजी सचिव का शपथपत्र भी संलग्न कर पेश किया गया। जिसके जरिए उमा भारती के कोर्ट के समक्ष हाजिर नहीं होने का कारण बताते हुए उपस्थिति को वकील के जरिए मान्य करने का निवेदन किया गया।
उधर दिग्विजय सिंह की ओर से भी उपस्थित नहीं हो सकने को लेकर आवेदन पेश किया गया। कोर्ट ने दोनों पक्षकारों की ओर से पेश आवेदनों को मंजूर करते हुए उनको राजीनाम करने का अंतिम अवसर प्रदान करते हुए मामले की सुनवाई 25 अगस्त तय की है।
गौरतलब है कि, केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने वर्ष 2003 के विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा की स्टार प्रचारक के तौर पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह पर आरोप लगाया था कि उन्होंने प्रदेश में 15 हजार करोड़ का घोटाला किया है। उमा भारती के इस बयान पर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की ओर से उमा भारती के खिलाफ मानहानि का परिवाद 17 नवंबर 2003 को जिला अदालत में पेश किया गया, इसके बाद इस मामले में अब तक कई पेशियों पर सुनवाई हो चुकी है।
