
इस मामले की जांच बागसेवनिया थाना पुलिस कर रही है। पीड़ित छात्र का नाम उमर माजीद बताया गया है। शिकायत की गई है कि कुछ छात्रों ने उस पर प्रशासनिक भवन के सामने हमला किया। उसके साथ मारपीट की गई और कहा गया कि भोपाल छोड़कर कश्मीर लौट जाओ, यह बिल्कुल वैसा ही बयान है जैसे कश्मीर में प्रदर्शनकारियों ने अमरनाथ यात्रियों से कहा था कि कश्मीर छोड़कर चले जाओ। मामला तत्काल सुर्खियों में आ गया। मीडिया का दखल हुआ तो जांच भी तेज हो गई।
अब पीड़ित छात्र ने आरोपियों को पहचान पाने से इंकार कर दिया है। सवाल यह है कि पीड़ित छात्र को कथित हमलावरों ने कोई गंभीर चोट नहीं पहुंचाई है। जो घटनास्थल बताया जा रहा है, वहां भीड़भाड़ रहती है और ऐसा भी नहीं है कि सारा भोपाल कश्मीरियों के खिलाफ एकराय हो। ऐसे में यह कैसे हो सकता है कि पीड़ित छात्र आरोपियों को पहचान पाने में असमर्थ हो। जबकि हमलावरों ने नकाब भी नहीं पहना था। कहीं यह कोई फर्जी शिकायत तो नहीं। मामले को संवेदनशील मोड़ देकर विवि प्रशासन या किसी और पर दवाब बनाने की राजनीति तो नहीं। मौके का फायदा कोई भी उठा सकता है। जो कश्मीरी छात्र अपने राज्य से बाहर यहां आकर पढ़ाई कर रहे हैं उन्हें डरपोक या कमजोर तो नहीं माना जा सकता। या यह भी संभव है कि विवाद किसी और बात पर लेकर हुआ हो लेकिन उसे कश्मीर के संवेदनशील विषय से जोड़ दिया गया हो।