अब भोपाल एम्स से निकलेंगे अधूरे ज्ञान वाले 50 डॉक्टर्स

भोपाल। मप्र पहले से ही व्यापमं वाले डॉक्टरों से त्रस्त है। एम्स से उम्मीद थी कि उम्दा किस्म के डॉक्टर तैयार होंगे परंतु यहां भी घालमेल हो गया। एमबीबीएस के पहले बैच की पढ़ाई नवंबर में समाप्त होने जा रही है। बैच के 50 छात्र डॉक्टर तो बन जाएंगे, लेकिन उनके पास ना तो पूरा ज्ञान होगा और ना ही अनुभव, क्योंकि पढ़ाई के दौरान उन्हें न तो मरीजों को सही ढंग से देखने का मौका मिला और न ही वे जरूरी उपकरण चलाना सीख पाए। 

ऐसा एम्स का अस्पताल अधूरा होने के कारण हुआ है। इससे छात्रों की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हो गई है। उधर, 100 छात्रों का पांचवां बैच भी अगले महीने से एम्स ज्वाइन कर लेगा। इसके बाद यहां छात्रों की संख्या 450 हो जाएगी।

एमबीबीएस के विद्यार्थी द्वितीय वर्ष से ही अस्पताल जाकर व्यवहारिक ज्ञान लेने लगते हैं, लेकिन एम्स का अस्पताल जब शुरू हुआ तो छात्रों के करीब तीन साल निकल गए थे। अभी अस्पताल में सिर्फ 150 बिस्तर ही हैं और यहां 50 से 60 मरीज भर्ती रहते हैं। वह भी कुछ चुनिंदा बीमारियों के होते हैं। ओपीडी में मरीजों को जल्दी देखना होता है, जिसके चलते एमबीबीएस के विद्यार्थी ओपीडी में कुछ नहीं सीख पाते हैं। वह भर्ती मरीजों का इलाज करके ही मेडिकल की पढ़ाई के गुर सीख सकते हैं। ऐसे में एम्स के विद्यार्थियों को मरीज ही नहीं मिले हैं और वह प्रेक्टिकल पढ़ाई से वंचित हो गए हैं।

डिलेवरी तक नहीं सीख पाए
एम्स के पहले बैच को एक भी डिलेवरी देखने का मौका नहीं मिला है, क्योंकि अस्पताल के स्त्री रोग विभाग में डिलेवरी की सुविधा शुरू ही नहीं हो पाई है। ऐसे में डॉक्टर बनने जा रहे छात्रों को ड्यूटी के समय डिलेवरी कराने में कितनी समस्या आएगी, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। एम्स में मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) के नियम लागू नहीं होते हैं। अगर वह नियम लागू होते तो एम्स के मेडिकल कॉलेज को कमियों के चलते मान्यता मिलना भी मुश्किल होती।

हड़ताल भी की, सुविधाएं नहीं मिलीं
छात्रों ने एम्स भोपाल को इसलिए चुना था कि यहां उन्हें उच्च स्तरीय पढ़ाई करने को मिलेगी, लेकिन 2012 में कॉलेज शुरू होने के दो साल बाद उन्हें अहसास हो गया कि यहां वह सुविधाएं नहीं मिलने जा रही हैं। लैब, लाइब्रेरी, हॉस्पिटल आदि की मांग को लेकर एम्स के विद्यार्थियों ने हड़ताल तक की। उन्होंने कक्षाओं का बहिष्कार किया, लेकिन इसका भी कोई फायदा नहीं हुआ।

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