डिंडौरी। यहां एक बच्चे के बर्थ सर्टिफिकेट में पिता के कॉलम में 3 पुरुषों के नाम दर्ज हुए हैं। यह कोई घोटाला या गोलमाल नहीं बल्कि बच्चे की मां ने दर्ज कराए हैं और प्रशासन को मजबूरन दर्ज करने पड़े हैं। दरअसल, यह बच्चा गैंगरेप के बाद पैदा हुआ है। मां को नहीं मालूम कि तीनों आरोपियों में से कौन इसका पिता है, अत: उसने तीनों के नाम दर्ज करा दिए। अब सवाल यह है कि यह बच्चा क्या अपने तीनों पिताओं की संपत्ति का हकदार होगा ?
जानकारी के मुताबिक, कोतवाली के एक गांव में वर्ष 2003 में 16 साल की नाबालिग के साथ गांव के ही तीन युवकों ने गैंगरेप किया था। इस मामले में मल्लेसिंह, ओमप्रकाश और बसंत दास को आरोपी बनाया गया था, लेकिन सबूतों के अभाव में वे आरोपी बरी होने में कामयाब रहे।
नाबालिग ने बच्चे को जन्म दिया। बेटे के जन्म के बाद उसका बर्थ सर्टिफिकेट भी बनाया गया। मां ने बर्थ सर्टिफिकेट में तीनों आरोपियों का नाम दर्ज कर दिया, क्योंकि वो तो गैंगरेप का शिकार हुई थी और पुलिस ने डीएनए टेस्ट नहीं कराया था। अत: यह पता नहीं चल सका था कि बच्चे का पिता कौन है।
यहां से शुरू हुई समस्या
नाबालिग युवती ने बच्चे को अपने साथ ही रखा और बड़े होने पर उसे स्कूल भी भेजा। पहली से लेकर पांचवींं तक तो सब ठीक रहा, लेकिन जब युवती अपने बेटे का छठवीं कक्षा में एडमिशन करवाने पहुंची तो उसे ये कहकर लौटा दिया गया कि बच्चे के बर्थ सर्टिफिकेट में गड़बड़ है, क्योंकि उसमें पिता के आगे तीन शख्स के नाम लिखे हैं।
अब होगा डीएनए
इस खुलासे के बाद सभी का इस मामले पर ध्यान गया। बाद में पता चला कि ये नाम उन्हीं तीनों शख्स के हैं, जो युवती के साथ 2003 में हुए गैंगरेप के आरोपी थे। अब पीड़िता अपने बच्चे के भविष्य को बचाने के लिए तमाम अधिकारियों की चौखट पर दस्तक दे रही है। मामला सामने आने के बाद अधिकारी भी हैरान हो गए हैं। उन्होंने इस मामले में जांच के आदेश देते हुए बर्थ सर्टिफिकेट पर पिता का सही नाम पाने के लिए आरोपियों और बच्चे का डीएनए टेस्ट करवाने की बात कही है।
गलती किसकी
अधिकारियों की मानें तो ये पूरी गलती तत्कालीन पंचायत सचिव की है, जिसने ये प्रमाण पत्र बनाया था। साथ ही उनका ये भी कहना है कि इस बात की भी जांच की जाएगी कि आखिर कैसे घटना के आरोपी बरी होने में कामयाब हो गए। गलती तो पुलिस की भी है। न्यायालय के निर्णय के अनुसार तीनों आरोपियों ने गैंगरेप नहीं किया, तो प्रश्न यह है कि बच्चा कैसे पैदा हो गया। डीएनए क्यों नहीं कराया गया। क्या पुलिस के जांच अधिकारी को इस लापरवाही के चलते दंडित नहीं किया जाना चाहिए।