
11 नंबर स्टॉप स्थित शांति निकेतन आश्रम के पास नाले पर बने हाउसिंग बोर्ड के 20 मकानों को नगरनिगम ने तोड़ने की तैयारी कर ली है। इन मकानों में 20 परिवारों के 80 लोग रह रहे हैं। निगम के सर्वे के बाद लोगों को इस बात की चिंता हो रही है कि यदि अचानक ये मकान तोड़ दिए गए तो उनका क्या होगा। जब मकान बनाए व बेचे गए तब नगर निगम और हाउसिंगबोर्ड कहां थे? अब अफसर हमें बेघर क्यों कर रहे हैं? 40 साल पहले यानी 1975 में यह मकान बनाए गए थे। उस वक्त इनकी कीमत 9 हजार रुपए थी। अब कलेक्टर गाइडलाइन से करीब 20 लाख के आसपास हो गई है।
गौरतलब है कि पिछले सप्ताह आई बाढ़ में यह बात सामने आई थी कि 20 फीट चौड़े निगम के नाले पर हाउसिंगबोर्ड ने 20 मकान बना दिए हैं। इसके चलते बारिश का पानी लोगों के घरों में भर रहा है। आनन-फानन में नगर निगम ने बैठक बुलाकर निर्णय लिया कि इन मकानों को तोड़ा जाए। यहां रह रहे परिवारों को दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया जाएगा। इधर, हाउसिंगबोर्ड के अफसरों का कहना है कि लोगों को दिक्कत न हो इसके लिए योजना बनाई जा रही है।
बोर्ड के अफसरों की गलती का खामियाजा हम क्यों भुगते
15 साल से यहां पर रह रहीं ओमलता प्रजापति का कहना है कि सरकारी एजेंसियां ही लोगों को धोखा देंगी तो लोग विश्वास किस पर करेंगे। पति का वेतन में से एक-एक रुपए जोड़कर 2001 में ढाई लाख का मकान खरीदा। यह सोचकर कि बच्चों के साथ यहां पर रहेंगे। पता चला कि हाउसिंग बोर्ड से जो मकान खरीदा है उसको तोड़ा जाएगा। यदि बोर्ड के अफसर पहले ही यह बता देते तो यह मकान कौन खरीदता। अब ढाई लाख में न तो बोर्ड मकान देगा और न ही शहर में इतने कम कीमत में मकान मिलेगा। अफसरों की गलती का खामियां हम क्यों भुगतें।