
अपने उक्त प्रामाणिक आरोप को स्पष्ट करते हुए पार्टी का आरोप लगाया कि उक्त ट्रस्ट ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर समकेतिक शिक्षण संस्थान हेतु राजधानी भोपाल के हलका नं. 23 अमझरा, खसरा नं. 17, ग्राम बांसिया में 42.840 हेक्टेयर एवं खसरा नं. 74 में 3.480 हेक्टेयर भूमि, कुल रकबा 46.320 हेक्टेयर भूमि संस्थान को आवंटित किये जाने हेतु दिनांक 28 दिसम्बर, 2015 को पत्र क्रमांक DSTCF/2015/0612 के माध्यम से, जिला कलेक्टर, भोपाल श्री निशांत बरबड़े को आवेदन किया गया।
कलेक्टर ने उसे उसी दिन एसडीएम श्रीमती माया अवस्थी को PUT UP करने हेतु अग्रेषित कर दिया, तदोपरांत 2 जनवरी, 2016 को एसडीएम ने हल्का पटवारी को जांच हेतु आदेशित किया और 30 जनवरी, 2016 को हल्का पटवारी द्वारा नायब तहसीलदार श्री सुधाकर तिवारी को सौंपी गई जांच में यह दर्शाया कि उक्त भूमि में झुग्गी बस्ती के लोगों के साथ अन्य लोग भी निवासरत हैं। उक्त भूमि पर एक मंदिर भी है, जो विवादित हैं। पुनः जांच किये बिना 31 जनवरी, 2016 को इस संस्थान के लिए भूमि देने का प्रस्ताव बनाकर वहां रहने वाले झुग्गी बस्तियों के गरीबों, निवासरत अन्य लोगों की जनभावनाओं, आपत्तियों और मंदिर की विवादित जमीन को दरकिनार करते हुए शासन को भेज दिया गया।
एक सक्षम शिक्षा माफिया को शासन की नीति और मंशा के विपरीत निजी विश्व विद्यालय बनाने के लिए 110 एकड़ बेशकीमती जमीन जिसका बाजार मूल्य 115 करोड़ रूपये आंका जा रहा है, मुफ्त में दिये जाने हेतु शासन की निहित (ई)-मानदार मंशा क्या है?
कांग्रेस का आरोप है कि राजस्व विभाग के कतिपय अधिकारी-कर्मचारी और ओरिएंटल कॉलेज के संचालक ठकराल के गुर्गे झुग्गीवासियों व अन्य रहवासियों पर अपना कब्जा छोड़ देने के लिए विभिन्न आर्थिक लालच और धौंस देकर अनाधिकृत दबाव बना रहे हैं। पार्टी यहां यह स्पष्ट कर देना चाहती है कि इस संस्थान की अनुमानित लागत करीब 300 करोड़ रूपयों की होगी। इस ट्रस्ट में संस्थापक के.एल. ठकराल के अलावा इनके पुत्र प्रवीण ठकराल और पुत्रवधु सुनीता ठकराल भी संबद्ध हैं। इस ठकराल परिवार द्वारा पूर्व से ही भोपाल में एक बड़ा ओरिएंटल इंजीनियरिंग कॉलेज तथा इंदौर और जबलपुर में भी निजी विश्व विद्यालय संचालित किया जा रहा है।
कांग्रेस का यह भी सीधा आरोप है कि स्थानीय भाजपा विधायक श्री रामेश्वर शर्मा के इस विषयक प्रखर और लिखित विरोध के बावजूद भी इस विवादित शिक्षा माफिया को उक्त उल्लेखित बेशकीमती जमीन कोई और नहीं, प्रदेश के वित्त मंत्री श्री जयंत मलैया ही हैं, जिन्हें प्रदेश के प्रगति और विकास में अधिकाधिक धन एकत्र करने की संवैधानिक जिम्मेदारी प्राप्त है, वे ही एक आपराधिक षंड्यंत्र कर इस बेशकीमती जमीन को प्रदेश शासन को 115 करोड़ रूपयों की वित्तीय क्षति पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं.....?
इस बात की चर्चा भी जोरों पर है कि ठकराल परिवार द्वारा श्री मलैया के सहयोग से ही इस बेशकीमती सरकारी भूमि को मुफ्त या नाम मात्र के प्रीमियम पर आवंटित कराकर बैंक अथवा वित्तीय संसाधनों को गिरवी रखे जाने और 100 करोड़ रूपयों से अधिक का ऋण लेने की तैयारियां भी पूरी कर ली गई है। इस संस्थान में वित्त मंत्री श्री मलैया की पत्नी सुधा मलैया की 25 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ श्री मलैया का भी निवेश शामिल है।
कांग्रेस पार्टी सरकार से यह जानना चाहती है कि उसके गुड गर्वेनेंस में आम आदमी जहां अपना राशन कार्ड, बीपीएल कार्ड, जाति प्रमाण पत्र, खसरा-खतौनी, नामांतरण आदि छोटे-छोटे बाजिव कामों के लिए रिश्वत देने के बाद भी भटकता रहता है। इसी परेशानी को लेकर राजधानी भोपाल में ही कुछ दिनों पहले एक किसान ने आत्मदाह तक कर लिया था, वहीं ठकराल परिवार द्वारा 28 दिसम्बर, 2015 को उक्त प्रस्तावित भूमि प्राप्त करने हेतु दिये गये मात्र एक आवेदन को विभिन्न दावों / आपत्तियों व झुग्गीवासियों/ अन्य निवासियों की जनभावनाओं को दरकिनार करते हुए ताबड़तोड़, तत्परता से निराकृत करते हुए शासन को करोड़ों रूपयों की भूमि आवंटित किये जाने हेतु प्रस्ताव भेज दिये जाने जैसी सुविधाऐं प्रदान कर देना जिला कलेक्टर, एसडीएम और नायब तहसीलदार की भूमिकाओं को भी संदेह की परिधि में ला रही है?