
पिछली बार 19 मार्च को पीपीएफ की ब्याज दर में 0.60 फीसदी गिरावट आई थी और यह 8.7 फीसदी से घटकर 8.1 फीसदी रह गई थी। यदि मार्च और मई के बीच 10 साल की औसत बेंचमार्क बांड यील्ड (मुनाफा) देखें तो यह करीब 7.5 फीसदी है।
10 साल की बेंचमार्क बांड से पीपीएफ की ब्याज दर 0.25 फीसदी ही ज्यादा है, लिहाजा पिछली तिमाही के लिए पीपीएफ की ब्याज दर 7.75 फीसदी हो सकती है। यदि दर 0.25 से 0.35 फीसदी घटती है तो यह 48 साल के इतिहास में पहली बार 8 फीसदी के नीचे जाएगी।
कुछ जानकारों का मानना है कि बांड यील्ड घटने के बाद भी सरकार उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव की वजह से इस तिमाही में छोटी बचत की ब्याज दरों में कटौती नहीं करेगी।
अगर ब्याज दरों में कटौती की जाती है तो भी कम महंगाई दर की वजह से पीपीएफ में निवेश बेहतर है। मई में महंगाई दर 5.76 फीसदी थी। इस हिसाब से पीपीएफ अभी 2 फीसदी ज्यादा रिटर्न दे रहा है।
पेंशन पर ज्यादा चोट
यदि छोटी बचत की दरों में कटौती होती है तो इसका सबसे ज्यादा नुकसान वरिष्ठ नागरिकों को उठाना पड़ेगा। मार्च में ऐसे लोगों की सेविंग स्कीम पर ब्याज दरें 9.3 से घटाकर 8.6 फीसदी कर दी गई थी। अगर आगे कटौती होती है तो यह दर 8.25 फीसदी के स्तर पर आ सकती है। 10 लाख के निवेश पर यदि पिछले साल तिमाही पेंशन 23,250 मिलती थी तो अब सिर्फ 20,625 मिलेगी।