मप्र के IAS संजय दुबे का आईडिया है मोदी की ‘विद्यांजलि स्कीम’

इंदौर। बीई, एमबीए पास छात्र, डॉक्टर, वकील, सेवानिवृत्त अधिकारी, घरेलू महिलाएं यह सभी आठ माह पहले अक्टूबर माह में शहर में शुरू हुई एक अनूठी योजना विद्यादान के सहभागी बने थे। शहर के युवा, बुजुर्ग सभी ने सरकारी स्कूलों में जाकर स्वेच्छा से पढ़ाया। लोगों के उत्साह और इस योजना के फीडबैक को देखते हुए अब केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के स्कूल व साक्षरता विभाग ने इस योजना को पूरे देश में विद्यांजलि के नाम से गुरुवार को नई दिल्ली में लॉन्च कर दिया। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने योजना को लॉन्च किया। 

मोदी सरकार ने इस योजना को पहले इंदौर शहर और नए सत्र में पूरे इंदौर संभाग में लॉन्च करने वाले कमिश्नर संजय दुबे को कोर कमेटी में सदस्य बनाया गया है। यह कोर कमेटी योजना में आवश्यक बदलाव करने व अन्य मुद्दों को लेकर मंत्रालय को सुझाव देगी। अभी यह योजना पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू हुई है, कोर कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद इसे और विस्तृत रूप में लागू किया जाएगा। केंद्र ने इस योजना के संबंध में कुछ समय पहले कमिश्नर दुबे से जानकारी मांगी थी, उनके प्रेजेंटेशन के बाद इस योजना को लागू किया गया है।

ऐसे हुई थी विद्यादान की शुरुआत
कमिश्नर दुबे ने विद्यादान योजना के लॉन्च करने का कारण बताते हुए कहा कि वे 22 साल से भारतीय प्रशासनिक सेवा में हैं। इस दौरान वह कई जिलों, गांव में दौरा करते हैं। इन दौरों में अभी तक दो हजार से ज्यादा स्कूलों में पढ़ा चुके हैं। इस दौरान अनुभव किया कि सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर अच्छा नहीं है। स्तर सुधारने के लिए कई कदम उठाए लेकिन लगा कि कहीं कमी है। इन्हीं बातों को देखते हुए अगस्त 2015 में इस योजना का विचार किया और पूरी योजना बनाकर साफ्टेवयर तैयार कर अक्टूबर 2015 में लांच किया। बीते साल इस योजना के तहत डेढ़ हजार लोगों ने स्कूलों में विद्यादान किया और इस साल भी 500 से ज्यादा पंजीयन हो गए हैं।

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