सपाक्स के नाम पर फर्जी कर्मचारी नेता सक्रिय

सपाक्स की बढ़ती लोकप्रियता के चलते कुछ तथाकथित गैर पंजीकृत अधिकारी कर्मचारी संघ/ मोर्चा के तथाकथित अध्यक्षों द्वारा "सपाक्स" के नाम से प्रेस विज्ञत्ति जारी की जा रही है और कोर्ट में केस अथवा अवमानना का प्रकरण दर्ज करने के नाम पर चंदा वसूली भी की जा रही है जिससे हमारी संस्था "सामान्य पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक वर्ग अधिकारी कर्मचारी संस्था "सपाक्स" जो की एक पंजीकृत (पंजी क्र 01/01/01/30584/16) है, को बदनाम किया जा सके और हमारे आन्दोलन को नुकसान पहुचाया जा सके। 

ये वो लोग है जो सत्ता से जुड़े है और उसके हिसाब से अपने स्वार्थ के लिए आपके और हमारे हितों का भी सौदा कर सकते है। हमारा आप सभी और पत्रकार साथियों से अनुरोध है कि "सपाक्स" के नाम का इस्तेमाल करने वालों से कुछ निम्न प्रश्न पूछे जाए : 
1. क्या आपकी संस्था नियमानुसार पंजीकृत है। 
2. आपकी संस्था के कितने लोग इस प्रकरण में पार्टी थे। क्या सरकार उनकी संस्था के किसी सदस्य के प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट गयी है या आर बी राय के प्रकरण में जो की इस  संस्था के संस्थापक मंडल में है। 
3. उनके द्वारा अवमानना प्रकरण किस केस में लगाया जायेगा जबकि उनकी संस्था का कोई सदस्य इस प्रकरण में पार्टी ही नहीं है। 

आप स्वयं जान जायेंगे की वो फर्जी लोग है।  "सपाक्स" का पूरा नाम है "सामान्य पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक वर्ग अधिकारी कर्मचारी संस्था"। अतः आप सभी से अनुरोध है कि सपाक्स के नाम का दुरुपयोग करने वालों से सावधान रहे और इस नाम का दुरुपयोग करने वालों को समाज और आम जनता में बेपर्दा करे। आप सभी से अनुरोध है कि संस्था के सही नाम और चिन्ह का उपयोग करे तथा प्रान्त कार्यकारणी द्वारा अधिकृत नोडल अधिकारी के अतिरिक्त अन्य कोई व्यक्ति सपाक्स नाम का उपयोग करता है तो वो गैर कानूनी है। उक्त अपील के बावजूद भी यदि कोई व्यक्ति,  किसी व्यक्ति द्वारा सपाक्स नाम का अनाधिकृत उपयोग कर ठगा जाता है तो उसके लिए वो स्वयं जिम्मेदार होगा सपाक्स नहीं। 
"प्रान्त कार्यकारिणी द्वारा जनहित में जारी"
शोऐब सिद्धिकी
प्रवक्ता   सपाक्स

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !