
ऐसी स्थिति में विद्यालयो में खेल मद से खरीदी या खेल विभाग से प्रदाय खेल सामान का क्या करोगे..? कुछ दिन पूर्व देखा गया कि खेल विभाग द्वारा विद्यालयों को दिए गए जुडो मेट का उपयोग चौकीदार अपने सोने के लिए कर रहा है। वही ताइक्वांड़ो मेट को आफिस या कम्प्यूटर रुम में फ्लोर मेट के रूप में उपयोग किया जा रहा है। ये हो रहा है खेल बजट का सद्उपयोग..!!!
दूसरा उदाहरण-
जो उत्कृष्ट पीटीआई बीजेपी सरकार में 2006 से सहायक अध्यापक व्यायाम शिक्षक के रूप में वर्ग-3 पीटीआई की तरह भर्ती हुए है उनकी तो और ज्यादा दुर्गति हो रही है। स्कूल के चपरासी उनसे ज्यादा वेतन पा रहे है। सबसे छोटे पद में होने के कारण "गरीब की गाय" की तरह हो गए है, हर कोई अपना काम उनसे कराता है और चपरासी उनकी सुनता नही है। मात्र 15-18 हजार रूपये वेतन पा रहा मास्टरडिग्री धारी व्यायाम शिक्षक अपने सम्मान के लिए प्रदेश के शिक्षा मंत्री/ मुख्यमंत्री से कई बार गुहार लगा चुका है पर वह "उलटे घड़े पर पानी डालने" से ज्यादा कुछ नही रहा है...!!
परिणाम ये हुआ कि प्रदेश के विद्यालयो/ खेलपरिसरो में पदस्थ एमपीएड किये अच्छे प्रशिक्षक व्यायाम शिक्षक (वर्ग तीन) अच्छी नौकरी एवं भविष्य की तलाश में नौकरी छोड़ कर अन्य जॉब करने लग गए है और जो रह गए वे मजबूर है और सिर्फ नौकरी कर रहे है अपना परिवार पालने...!!!
ये है शिक्षा विभाग के नीति निर्धारकों की कार्यप्रणाली, जिसके दुष्परिणाम प्रदेश के बीपीएड, एमपीएड डिग्री धारी बेरोजगार युवाओ को भुगतने पड़ रहे है और उक्त पाठ्यक्रमों में अध्ययन हेतु युवाओ का मोह भंग होता जा रहा है।
नवजीत सिंह परिहार
प्रदेश अध्यक्ष
अध्यापक-संविदा व्यायाम शिक्षक संघ मप्र
मोबाइल नम्बर- 9009372637