
जेल से रिहा होने के बाद सुधीर शर्मा ने कहा, 'मुझ पर लगाए गए आरोप गलत हैं। मैं सीबीआई जांच के लिए तैयार हूं। मैंने पैसे लेकर किसी की नौकरी नहीं लगाई। मुझे फंसाने में कोई राजनीतिक षडयंत्र नहीं। शर्मा ने बताया कि उन्होंने जेल में रहकर किताब लिखी है। वहीं, कैदियों की एनजीओ के माध्यम से सेवा करने की बात कहते हुए शर्मा ने एसटीएफ पर दुर्भावना से कार्रवाई करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि 692 दिन और 40 मिनट जेल में बिताने की वजह से उन्हें मानसिक प्रताड़ना झेलनी पड़ी।
सुधीर शर्मा पर कुल चार मामले दर्ज किए गए थे, जिनमें से एक मामले में पहले ही शर्मा को जमानत मिल चुकी है, बाकि तीन मामलों में हाईकोर्ट ने बुधवार को शर्मा को जमानत दी है। शर्मा पर वन आरक्षक, पुलिस आरक्षक, प्लाटून कमांडर और संविदा शिक्षक भर्ती परीक्षा में गड़बड़ी करने का आरोप है। आरोप है कि शर्मा ने अपने संपर्क के जरिए व्यापमं की इन परीक्षाओं में कई अभ्यर्थियों को फर्जी तरीके से पास कराया था।
व्यापमं की जांच के दौरान सुधीर शर्मा का कनेक्शन व्यापमं के कई बड़े अधिकारियों से भी निकला था. जिसके बाद एसटीएफ की टीम ने 25 जुलाई 2014 में शर्मा को गिरफ्तार किया था और तब से ही शर्मा भोपाल जेल में बंद था। सुधीर शर्मा की रिहाई के दौरान बड़ी संख्या में उनके समर्थक जेल के बाहर मौजूद थे। उनके समर्थकों ने जेल के बाहर मिठाईयां बांटी, जबकि खुद शर्मा ने सबसे पहले जेल परिसर में बने मंदिर में पूजा-अर्चना की।