भोपाल। मेट्रो के लिए लोन देने से पहले जापान इंटरनेशनल कारपोरेशन जायका की टीम भोपाल दौरे के बाद भी संतुष्ट नहीं है और वह लोन देने से पहले प्रोजेक्ट को केन्द्र सरकार से अप्रूव करवाना चाहती है। अंदर की खबर यह है कि मास्टर प्लान के नहीं आने के बाद से जायका की टीम मेट्रो की प्लानिंग से संतुष्ट नहीं है। मास्टर प्लान 2031 अभी तक नहीं आया है और इस कारण उसकी चिंता इस बात को लेकर है कि आने वाले समय में अगर मेट्रो के एलीवेटेड रूट के आसपास की जमीन आवासीय घोषित हो गयी तो मेट्रो प्रोजेक्ट को दिक्कत हो सकती है।
इससे पहले जायका टीम ने जब पिछले बैठक में शहर के मास्टर प्लान के बारे में पूछा था तो मेट्रो कंपनी के अधिकारी सही जवाब नहीं दे पाए थे। जायका के सदस्य यह जानना चाहते थे कि भोपाल मास्टर प्लान 2031 में ट्रैवल डिमांड फ्यूचर डेवलपमेंट प्लान में कितनी जगह रखी गयी है और यह कब तक लागू होगा और उसमें मेट्रो रूट और उसके आसपास की जमीन कितनी आवासीय और कितनी व्यावसायिक रहेगी। भोपाल मास्टर प्लान 2031 अभी तक आया नहीं है ऐसी हालत में अधिकारियों ने चर्चा के लिए भोपाल विकास योजना 1995 का प्रारूप जायका के सामने रखा था जिससे वह संतुष्ट नहीं थे।
1993 के आंकड़ों से काम नहीं चलगा
जायका अब भोपाल में ट्रैवल डिमांड फ्यूचर डवलपमेंट की संभावना को जानने के लिए भोपाल का मास्टर प्लान की जायका स्टडी करना चाहती थी लेकिन उसको जो प्लान दिया गया है उसमें 1993 के आंकड़े हैं। उसके बाद से अब तक भोपाल की स्थिति काफी बदल चुकी है। जायका की ओर से ट्रैवल डिमांड एंड मॉडलिंग एक्सपर्ट के साथ अलग से मीटिंग होनी है जिसमें डीपीआर कंसल्टेंट रोहित एसोसिएट्स की ओर से मेट्रो आॅपरेशन कंसल्टेंट रोलेज साइफर भी अपनी बात रखेंगे। भोपाल मेट्रो कंपनी के एक अधिकारी ने अपना नाम न बताने की शर्त पर बताया कि मेट्रो की डीपीआर में तकनीकी मुद्दों पर सहमत हैं, लेकिन उन्हें अपनी फाइनल रिपोर्ट तैयार करने के लिए जायका दस्तावेजों की पड़ताल करने की जरूरत है।
क्या है प्लानिंग
इससे पहले बीआरटीएस कारीडोर में मेट्रो के एलीवेटेड रूट दो मीटर चौड़ा किये जाने की आवश्यकता जताई गयी है लेकिन इससे बीआरटीएस कारीडोर को भी तोड़ना पड़ सकता है, क्योंकि इससे बस के लिए डेडिकेटेड लेन को सकरी करने के चक्कर में उसकी 6.7 जगह में से सिर्फ 4.7 मीटर ही जगह बच रही है। 4.7 मीटर की चौड़ाई में दो बसें नहीं निकल सकती है। इस समस्या पर भी विचार किया जाना है क्योंकि बीआरटीएस कारीडोर और मेट्रो रूट में टकराव दोनों के लिए ही नुकसानदायक होगा।
पब्लिक ट्रांसपोर्ट की प्लानिंग 50 साल की होती है, ऐसी हालत में गलत प्लानिंग के कारण बीआरटीएस को जिस तरह से तोड़ने की स्थिति बन रही है वही कहीं एलीवेटेड रूट के लिए न बन जाए इसके लिए जायका बाय इन्टिवेशन प्लान भी क्लियर कर लेना चाहती है।