नयी दिल्ली। 12 जून को पंजाब कांग्रेस के प्रभारी बनाए गए कमलनाथ ने बुधवार 15 जून को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने इस बावत् पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर कहा कि 1984 के दंगों में जबर्दस्ती नाम उछाले जाने के बाद वे प्रभारी पद पर नहीं बने रहना चाहते हैं। सोनिया गांधी ने कमलनाथ का इस्तीफा तुरंत मंजूर कर लिया एवं उन्हें महासचिव के पद से भी मुक्त कर दिया। सूत्रों की माने तो नए प्रभारी की घोषणा गुरुवार या शुक्रवार को हो सकती है। वहीं राजनीतिक पंडितों के अनुसार कमलनाथ ने ऐसा करके पार्टी को नुकसान होने से बचा लिया क्योंकि यदि वे पंजाब विधानसभा चुनाव के दौरान भी इस पद पर रहते तो पार्टी के वोट बैंक को नुकसान हो सकता था।
सोनिया को क्या लिखा पत्र में
‘‘...मैं आग्रह करता हूं कि मुझे :पंजाब में: मेरे पद से मुक्त किया जाए ताकि यह सुनिश्चित हो कि पंजाब से असल मुद्दों से ध्यान नहीं भटके।' पूर्व केंद्रीय मंत्री कमलनाथ ने कहा कि वह ‘‘पिछले कुछ दिन में नई दिल्ली में 1984 के दर्दनाक दंगों को लेकर पैदा गैरजरुरी विवाद से जुडे घटनाक्रम से आहत' हैं.
नेहरुवादी राजनीति करने वाला व्यक्ति
पंजाब का प्रभारी महासचिव नियुक्त किये जाने पर सोनिया का आभार जताते हुए कमलनाथ ने लिखा, ‘‘मैं नेहरुवादी राजनीति करने वाला व्यक्ति हूं और झूठे आरोपों से कांग्रेस की छवि खराब करना मेरे के लिए अस्वीकार्य है।' उन्होंने कहा, ‘‘मेरी इच्छा है कि पार्टी आगामी चुनावों पर ध्यान केन्द्रित करे और कुशासन, किसानों एवं युवाओं की बदहाली, लचर कानून व्यवस्था और मादक पदार्थों के कारोबार के मुद्दों पर ध्यान केन्द्रित करे क्योंकि इन कारणों से पंजाब की जनता की हालत दयनीय है।' इसके तुरंत बाद पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष ने एआईसीसी महासचिव के रुप में कमलनाथ का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है।