भोपाल। यह शायद पहली बार हो रहा है कि उपभोक्ता अदालत ने वाद दायर करने वाली महिला उपभोक्ता पर ही जुर्माना ठोक दिया जबकि मामले के आरोपी बैंक को हर्जाना भी दिलाया। मामला एक ज्वाइंट एफडी का था, जिसमें उपभोक्ता ने अदालत से जानकारियां छुपाते हुए वाद दायर कर दिया था।
मामले की सुनवाई फोरम के अध्यक्ष पीके प्राण, सदस्य सुनील श्रीवास्तव और मोनिका मलिक ने की। फोरम में आईसीआईसीआई बैंक भदभदा ब्रांच के खिलाफ उपभोक्ता 81 वर्षीय कमला नागपुरे ने शिकायत की थी की 2011 में उन्होंने और उनकी पुत्रवधू स्वाति के नाम संयुक्त रूप से 2,61,263 रुपए की एक एफडी कराई थी। जिसे उनकी पुत्रवधू ने बिना जानकारी दिए अकेले जाकर बैंक से नगदीकरण करा लिया। जब इसकी जानकारी लेने बैंक गई तो बैंक ने सहयोग नहीं किया। एफडी का मूल प्रमाणपत्र मांगने पर उन्हाेंने कहा वह गुम गया है। बैंक कर्मचारियों ने राशि देने से मना कर दिया तो स्वाति ने एफडी गुमने व क्षतिग्रस्त होने की रिपोर्ट लिखाई। आयोग के सदस्य श्रीवास्तव ने बताया कि उपभोक्ता पर हर्जाना का पहला मामला है।
संयुक्त खाते में जमा की गई थी रकम
बैंक की ओर से पक्ष रखते हुए वकील ने बताया कि मामले में कमला नागपुरे ने फोरम से जानकारी छिपाई कि उन्होंने बैंक को शपथ पत्र दिया। साथ ही उन्होंने एफडी से पैसा निकालने वाली अपनी पुत्रवधू को पक्षकार नहीं बनाया। न ही उन्होंने इस बात का खंडन किया कि उनकी पुत्रवधू द्वारा बैंक में जमा किए गए दस्तावेज में उनकी सहमति नहीं ली गई। यही नहीं जो एफडी तोड़ी गई थी उसकी राशि कमला और स्वाति के संयुक्त खाते में जमा कर दी गई।
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मामले में सुनवाई में फोरम ने कमला को फोरम उपभोक्ता संरक्षण अधिकार अधिनियम की (धारा 26) के तहत अधिकारों का दुरुपयोग करने का दोषी पाया। उन्हें इस कारण बैंक को 5 हजार रुपए हर्जाना देने और 3 हजार रुपए परिवाद व्यय देने का आदेश दिया।