
अवनी मूल रूप से मध्यप्रदेश के रीवा की रहने वाली हैं। उसके पिता एग्जीक्यूटिव इंजीनियर हैं। इस जांबाज के भाई भी आर्मी में कैप्टन हैं। वहीं, चाचा सहित परिवार के कई सदस्य आर्मी के जरिए देशसेवा में जुटे हैं। अवनी ने पिछले दिनों एक इंटरव्यू में बताया था कि इस वजह से उसने आर्मी की लाइफ को करीब से देखा है और उसे यह लाइफ पसंद है।
अवनी अपने बचपन के दिनों को याद करते हुए कहती हैं, 'हर कोई बचपन में आसमां की तरफ देखता है और चाहता है कि पंछी कि तरह उड़े। अब एयरफोर्स में उन्हें मिलिट्री लाइफ के साथ उड़ने का मौका भी मिल रहा हैं।'
इंडियन एयरफोर्स में फिलहाल 94 महिला पायलट हैं, लेकिन ये पायलट सुखोई, मिराज, जगुआर और मिग जैसे फाइटर जेट्स नहीं उड़ाती हैं। अवनी ने जब एयरफोर्स ज्वाइन की थी उस वक्त महिलाएं केवल हेलीकॉप्टर और दूसरे विमान ही उड़ा रही थीं। अवनी बताती हैं कि फाइटर पायलट बनने का मौका मिला तो परिवार से काफी सपोर्ट मिला। उन्होंने हर कदम पर उसे प्रोत्साहित किया।
रीवा की इस बेटी के मुताबिक, फ्लाइंग की बात की जाए तो ऐसा कुछ भी नहीं है जो महिलाओं के लिए मुश्किल है। इसमें किसी तरह की कोई मसल्स पावर की जरूरत नहीं होती। सबकुछ इस पर निर्भर है कि आप किस तरह से निर्णय ले पा रहे हैं और फ्लाइंग को लेकर आपमें कितना कौशल है। उन्होंने महिलाओं को संदेश देते हुए कहा कि महिलाएं किसी भी क्षेत्र में जाएं तो खुद को जागरूक रखने के साथ प्रोफेशनली सही साबित भी करें।
वो कहती हैं कि, ''आप में क्षमता है तो लोगों को बोलने दीजिए। सरकार आपकी मदद करती है, परिवार आपके साथ खड़ा होता है और समाज भी सपोर्ट करता है। बड़े सपने देखो, अपना लक्ष्य बनाओ और फोकस होकर मेहनत करते रहो। आसपास सीखने के लिए बहुत कुछ है। बुरे लोग है तो अच्छे लोग भी है। सकारात्मक चीजों की तरफ देखें और अपनी तरफ से मेहनत करते रहें।''