भोपाल। राज्य शिक्षा केन्द्र में 'वन संस्कार' घोटाले की सुगबुगाहट सुनाई दे रही है। यह एक प्रोजेक्ट था जो कक्षा 6 से 8 तक के बच्चों को दिया गया था परंतु 'वन संस्कार' के नाम पर आधे से ज्यादा बजट पचा लिया गया। मजेदार बात तो यह है कि इस घोटाले का खुलासा आरटीआई के तहत जानकारी मांगकर भी नहीं किया जा सकता।
क्या है 'वन संस्कार'
राज्य शिक्षा केन्द्र ने 2012 में 'वन संस्कार' के नाम से एक प्रोजेक्ट बनाया था। यह कक्षा 6 से 8 तक के बच्चों को लिए था। इसके तहत परीक्षाएं समाप्त हो जाने के बाद बच्चों को बीज दिए जाने थे, बच्चे इनका रोपण अपने घरों में करते और पौधे तैयार करते। जब स्कूल खुलते तो बच्चे अपने अपने पौधे लेकर आते। शिक्षकों के मार्गदर्शन में पौधों का रोपण होता। इस तरह बच्चों को बीज से पौधे तक की प्रक्रिया का अध्ययन हो जाता और पर्यावरण का लाभ भी होता।
फिर हुआ क्या
प्रोजेक्ट तो बहुत अच्छा था परंतु अफसरशाही ने इसमें भी गोलमाल के रास्ते खोज लिए। कई जिलों में बच्चों को बीज दिए ही नहीं गए। जिला शिक्षा केन्द्रों को आदेशित कर दिया गया कि वो नर्सरी से पौधे खरीदकर बच्चों को दे दें। प्रति छात्र 1 पौधे के हिसाब से हर जिले में लाखों पौधे खरीदे गए। छात्रों को दिए गए। विद्यालय परिसर में पौधे लगाए गए और पानी के अभाव में सूख गए। ये सारी प्रक्रिया कागजों में ही हुई। टेबल पर बैठकर खरीदी का हिसाब बना लिया गया और फाइलों में पौधें का सुखा दिया गया। ना छात्रों के हाथों में पौधे दिए और ना ही स्कूलों में रोपण हुआ। कुछ ऐसे स्कूल जहां मीडिया या नेताओं की नजर रहती है, वहां जरूर थोड़ी हलचल की गई।
अब क्या
इस तरह 'वन संस्कार' का 'अंतिम संस्कार' हो गया। यह एक ऐसा घोटाला है जिसको आप आरटीआई के तहत भी नहीं पकड़ सकते। सारे कागज जिंदा हैं, बस पौधे मर गए। अब मरे हुए पौधों के मृत्युपूर्व बयान कहां से लाएं।