
एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि तत्कालीन भारत के गृह सचिव रहे मधुकर गुप्ता और कुछ अन्य शीर्ष अधिकारी पाकिस्तान में मेहमाननवाजी का लुत्फ उठा रहे थे। यही नहीं, गुप्ता और अन्य अफसरों ने मुरी के हिल रिट्रीट में अपना प्रवास एक दिन और बढ़ा लिया था।
गुप्ता के साथ बॉर्डर मैनेजमेंट के अपर सचिव अनवर अहसान अहमद, आंतरिक सुरक्षा की संयुक्त सचिव दीप्ती विलासा और भारतीय आंतरिक सुरक्षा प्रतिष्ठान के कुछ अन्य अधिकारियों ने मुरी में मौजूद थे। इस मामले के सामने आने के बाद अब अधिकारी इस पर सफाई नहीं दे पा रहे हैं।
गौरतलब है कि 26 नवंबर 2008 में ही पाकिस्तान से गृह सचिव स्तर की वार्ता के लिए भारत सरकार का शिष्ट मंडल पाकिस्तान गया था। वार्ता के खत्म होने बाद अधिकारियों को भारत वापस लौटना था, लेकिन वे पाकिस्तान में बेवजह एक दिन और ठहरे।
बताया जा रहा है कि पाक अधिकारियों ने ही भारतीय अधिकारियों को वहां एक और दिन रुकने के लिए कहा था। कारण बताया गया कि पाकिस्तान के गृहमंत्री यात्रा पर थे और उनसे मिलने के लिए भारतीय अधिकारियों के रोका गया था।
भारतीय अधिकारियों से कहा गया था कि अगले दिन यानी 27 नवंबर 2008 को गृहमंत्री से बात हो सकती है। 27 नवंबर की दोपहर को ही भारतीय अधिकारियों के दल स्वदेश लौटा था। तब तक आतंकी मुंबई में अपने मंसूबों को अंजाम देते हुए लाशों के ढ़ेर लगा चुके थे।
ऐसे में पाकिस्तान में भारतीय अधिकारियों का एक दिन ज्यादा रुकना संदेह पैदा कर रहा है कि कहीं पाकिस्तान ने ऐसा जानबूझकर तो ऐसा नहीं किया, ताकि 26/11 हमले के वक्त भारतीय सुरक्षा पुख्ता न रह सके। भारतीय शिष्ट मंडल का वहां रुकना और आतंकी आकाओं द्वारा निर्देशित लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों का उसी रात मुंबई में घुसना महज इत्तेफाक नहीं हो सकता।