
मप्र कैडर के वर्ष 1985 बैच के अधिकारी डबास पर आरोप लगा है कि वर्ष 2014-15 में सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से 12 मार्च 2015 को आदेश जारी हुए थे। इसमें कहा गया था कि 15 मई 2015 तक एसीआर लिख दी जाए लेकिन यह एसीआर लघु वनोपज संघ में अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक बनने के बाद लिखी गई हैं और 30 दिसंबर व 31 दिसंबर 2015 को सागर सीसीएफ को भेजी गईं। यह उन्हें 8 जनवरी 2016 को मिली।
इसी तरह जिन लोगों की पूर्व में अच्छी एसीआर (क प्लस से ख) तक रही, उनके ‘निष्ठा’ वाले कॉलम में डबास ने नकारात्मक कमेंट लिखे। नौ फॉरेस्ट गार्ड की 2015 की एसीआर ही नहीं लिखी।
गौरतलब है कि डबास को इसी माह शासन की ओर एक नोटिस दिया जा चुका है। इसमें आरोप है कि उन्होंने वन बल प्रमुख (हैड ऑफ फोरेस्टी) की नियुक्ति से पहले दावेदार सीनियर अधिकारियों की योग्यता पर सार्वजनिक रूप से टीका-टिप्पणी की थी। सीनियर अफसरों को कैडर आवंटित होने की सूची पर भी उन्होंने सवाल खड़े किए थे। इसे अनुशासनहीनता की श्रेणी में मानते हुए नोटिस जारी हुआ है। हालांकि डबास ने जवाब देने के लिए उलटे शासन से ही कुछ दस्तावेज मांग लिए हैं।
मेरा पक्ष नहीं लिया : डबास
डबास का कहना है कि नोटिस देने से पहले मेरा पक्ष नहीं लिया गया। एसीआर लिखना मेरा अधिकार है। पूर्व में किसने क्या मार्किंग की, मुझे उससे कोई लेना-देना नहीं। मेरे समय जैसा लोगों ने काम किया, उसी के अनुसार एसीआर लिखी गई है। जहां तक इस मामले के तूल पकड़ने के सवाल है तो अब एसीआर में सही मूल्यांकन नहीं किया जाता। भाई-भतीजावाद के साथ आर्थिक लेन-देन तक चलता है। इससे गोपनीय चरित्रावली लिखने के औचित्य पर सवाल खड़े हो रहे हैं। डबास ने कहा कि शासन जानबूझकर कार्रवाई कर रहा है। सागर में मेरा काम नहीं देखा गया। मैंने 11 लाख पौधे लगाए और डेढ़ करोड़ पौधे तैयार किए।