
आरईएस के इंजीनियर ने 1 करोड़़ का खर्च बताया। इतनी राशि नहीं थी तो तालाब की सिल्ट का परीक्षण कराया तो उसकी गुणवत्ता जैविक खाद से अधिक थी। यह जानकारी मिली तो पंचायत ने तालाब से सिल्ट निकालने का ठेका 2 ठेकेदारों को दे दिया। उनसे 16,500 और 11,000 की राशि जमा कराई। इस प्रयास से तालाब एक मीटर गहरा हो गया। ठेकेदारों ने 75 रुपए प्रति ट्रॉली के हिसाब से किसानों को बेच दी। कुल 10000 ट्राली सिल्ट तालाब से बाहर निकाली गई।
इस तरह तालाब का गहरीकरण ना केवल फ्री में हो गया बल्कि पंचायत को 27500 रुपए का फायदा भी हो गया। इसके साथ ही सरकारी रसों में दौड़ रही मक्कारी और भ्रष्टाचार भी उजागर हो गया। जो काम पंचायत ने एक तालाब में किया, सरकार चाहती तो पूरे प्रदेश में कर सकती थी।