प्रथक बुंदेलखंड का मुद्दा गर्माया: मप्र के 2 दर्जन जिले

झांसी। उप्र और मप्र में बंटे बुन्देलखन्ड को पृथक राज्य बनाये जाने को लेकर सरगर्मी तेज हो गई है। उप्र के बुन्देलखण्ड क्षेत्र में 24 संगठन राज्य निर्माण की मांग कर रहे हैं लेकिन मप्र के हिस्से को अलग कर राज्य बनाने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान दो टूक मना कर चुके हैं। आपको बता दें मप्र की पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में केंद्रीय जल संसाधनआंत्री ने जब झाँसी से चुनाव लड़ा तो उस समय बड़ी जोरदारी से ये बात कही थी कि यदि वे झाँसी से चुनी गईं और केंद्र में भाजपा की सरकार बनी तो वे बुन्देलखण्ड राज्य निर्माण हेतु प्रयास करेंगी। 

उमा की ये चुनावी घोषणा अब उनके और भाजपा के लिए गले की फांस बन गई है, उप्र में बुन्देलखण्ड राज्य निर्माण हेतु आंदोलनकारी विक्रम सिंह तोमर बताते हैं कि अब भाजपा कोई भी बहाना नहीं बना सकती क्योंकि केंद्र और मप्र में भाजपा की सरकार है। सपा बसपा को चाहे अनचाहे राज्य निर्माण का समर्थन करना ही है। मायावती तो चुनाव पूर्व इसकी घोषणा और कार्यवाही भी प्रारम्भ कर चुकी थी। दुर्भाग्यवश बसपा की सरकार चली गई। मप्र के बुन्देलखण्ड में स्वर्गीय बिट्ठल भाई पटेल ने इस आंदोलन को नारा दिया था
"को का कै रओ,को का कैहै,
बुन्देलखण्ड राज्य बनके रैहै।।

टीकमगढ़ राजपरिवार से जुड़े महाराज मधुकर शाह जू देव, पूर्व संसदीय सचिव सुरेन्द्र प्रताप सिंह बेबी राजा, पूर्व मंत्री कांग्रेस नेता राजा पटैरिया भाजपा नेता अवधेश प्रताप सिंह राठौर जैसे कई  नेता बुन्देलखण्ड राज्य निर्माण के पक्षधर हैं लेकिन भाजपा का कोई नेता पार्टी लाइन से आगे आकर कोई मुख्यमंत्री से बुराई मोल नहिं लेना चाहता।

सूत्रों की मानें तो कांग्रेस भाजपा से जुड़े कुछ नेता जो वर्तमान समय की पादपूजन और गणेश परिक्रमा वाली नेतागिरी में फिट नहीं बैठ रहे या जो टिकट की कतार में हैं उनको यदि टिकट की उम्मीद के आसार नजर नहीं आये तो ऐसे कई बड़े नेता बुन्देलखण्ड राज्य निर्माण का झंडा बुलंद कर चुनाव के पहले बड़ी चुनौती खड़ी कर सकते हैं। वेसे ये चुनौती भाजपा को उप्र चुनाव में झेलनी पड़ेगी क्योंकि तेलंगाना के अलग राज्य बनने के बाद बुन्देलखण्ड राज्य निर्माण की मांग तेजी पकड़ रही है।

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