स्वास्थ्य सरकार और समाज

राकेश दुबे@प्रतिदिन। भारत के स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र पर डालें तो पाते हैं कि बड़े पैमाने पर सुधार किए जाने की आवश्यकता है| केवल प्राथमिक चिकित्सा केंद्रों की बात करें तो सबसे पहले इनकी संख्या ही अपर्याप्त है| जो हैं भी, वे अव्यवस्था और चिकित्सकों तथा अन्य विशेषज्ञों के अभाव के शिकार हैं|  कुल 25020 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में से 903 केंद्र डाक्टरविहीन हैं, और 14873 केंद्रों में केवल एक ही डाक्टर उपलब्ध है| 7676 केंद्रों में लैब तकनीशियन नहीं हैं, तो 5549 केंद्रों में फार्मास्यूटिकल नहीं है. केवल 5438 केंद्रों में महिला डाक्टर उपलब्ध हैं. दूसरी ओर, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में विशेषज्ञ डाक्टरों की संख्या और भी दयनीय है|आवश्यकता है 19332 विशेषज्ञों की जबकि सरकार केवल 9914 की ही व्यवस्था कर पाई है, और उनमें से भी 5858 ही कार्यरत हैं| यही कारण है कि देश में निजी अस्पतालों की बाढ़ आ गई है| निजी अस्पताल मंहगे तो हैं ही, ग्रामीण इलाकों में इनकी गुणवत्ता भी संदेह के घेरे में रहती है| अधिकांशत: क्षेत्रों में ऐसे अस्पतालों में अटैचीछाप डॉक्टर ही बैठा करते हैं|

देश में इस समय स्वास्थ्य का बाजार सौ अरब डॉलर का है, जो 2020 तक बढ़ कर 280 अरब डॉलर हो जाएगा| इसकी वार्षिक विकास दर 22 प्रतिशत के करीब है|मोटे अनुमान के अनुसार भविष्य में देश के अस्पतालों में छह से सात लाख अतिरिक्त बिस्तरों की जरूरत है| इसे पूरा करने के लिए पच्चीस से तीस अरब डॉलर का निवेश करना होगा| निजी क्षेत्र स्वास्थ्य-सेवा में भारी मुनाफे को देखते हुए निवेश को तैयार है|यही कारण है कि भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र में 2000 से 2015 तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के तौर पर 3.4 अरब डॉलर की पूंजी आई|

हालांकि अपने देश में स्वास्थ्य सेवाएं बनिस्बत सस्ती हैं, और इस कारण भी विदेशी निवेश बढ़ रहा है| अमेरिका व यूरोप में स्वास्थ्य सेवाएं काफी मंहगी हैं, और बड़ी संख्या में वहां से मरीज इलाज के लिए भारत आने लगे हैं| इसे स्वास्थ्य पर्यटन का नाम दिया जा रहा है| स्वाभाविक-सी बात है कि विदेशी यहां इलाज के लिए आएंगे तो वे यहां स्वास्थ्य सेवाओं में निवेश भी करना चाहेंगे.

अपने देश में दो व्यवस्थाएं हमेशा चलती हैं| एक व्यवस्था वह है जो सरकारें चलाती हैं, और दूसरी  वह जो समाज चलाता है| भारत के संदर्भ में समाज सरकारों से अधिक मजबूत रहा है, और इसलिए वर्तमान व्यवस्था में सरकार द्वारा सभी क्षेत्रों में पूरा नियंत्रण करने के बाद भी समाज-संचालित व्यवस्थाएं भी बड़े पैमाने पर चल रही हैं| स्वास्थ्य क्षेत्र की अगर बात करें तो बड़ी संख्या में आयुर्वेद, प्राकृतिक चिकित्सा और योग के केंद्र चलते हैं, जो अंतत: स्वास्थ्य सेवा ही प्रदान करते हैं| सरकार को समाज द्वारा संचालित स्वास्थ्य सेवाओं से तालमेल बिठाना चाहिए इसी में देश का भला है |
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।        
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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