36 साल बाद पानी से बाहर निकला सिंधिया का महल

भोपाल। साड़ियों के लिए देशभर में प्रसिद्ध मप्र की चंदेरी में 36 साल पहले पानी में डूब गया पंचम नगर महल इस बार बाहर निकल आया है। यह महल राजघाट बांध के डूब क्षेत्र में आ गया है, लेकिन इस बार बांध में पानी कम हुआ तो महल बाहर निकल आया। इन दिनों इस महल को देखने के लिए भीड़ लगी हुई है। आश्चर्यजनक यह है कि इतने साल तक पानी में डूबे होने के बाद भी महल की सुंदरता आज भी बरकरार है। 

चंदेरी सहित आसपास के क्षेत्र में पुरातत्व विरासतें बिखरी पड़ी हैं। ये धरोहरें बूढ़ी चंदेरी, बेंटी रामनगर और राजघाट डैम के डूब क्षेत्र में समाई हुई है। इनमें से कुछ सिंधिया राजवंश की है। इन्हीं में से एक विरासत पंचमनगर महल है, जो चंदेरी के किले सहित आसपास के सभी महलों में सबसे सुंदर माना जाता है। जब राजघाट बांध का निर्माण हुआ तो यह महल डूब क्षेत्र में आ गया। इस बार जब राजघाट बांध का जलस्तर पहली बार अपने न्यूनतम स्तर पर पहुंचा तो महल पानी से ऊपर आ गया।

1980 मेंं आया था डूब में
1975 में राजघाट बांध का शिलान्यास हुआ था। इसके बाद 1979-80 में बांध का काम पूरा हुआ तो बेतवा के डूब क्षेत्र में महल आ गया। इसका मुआवजा एक करोड़ 68 लाख रुपए आंका गया था। तत्कालीन सांसद माधवराव सिंधिया ने स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया में राशि जमा कराई थी।
-बाद में विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण का गठन कराया था। कुछ समय बाद इसे भंग कर राशि नगरपालिका को हस्तांतरित की गई, जिसका ब्याज आज भी चंदेरी नगरपालिका को मिल रहा है।

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