
युवा आईएएस अफसर आशीष भार्गव ने अपने अधीनस्थ पटवारियों के दैनिक काम-काज पर निगरानी रखने के लिए व्हाट्सप ग्रुप "राजस्व विभाग बैरसिया' बनाया। इसमें एसडीएम, एसडीएम के बाबू, तहसीलदार, नायब तहसीलदार और 22 पटवारी सभी को जोड़ा गया था। इस ग्रुप के जरिए वे हाजिरी से लेकर दैनिक गतिविधियों पर नजर रखते थे लेकिन जब पटवारियों को इसका अहसास हुआ कि वो 24 घंटे एसडीएम की निगरानी में हैं तो उन्होंने भार्गव के व्हाट्सप ग्रुप से बाहर निकलना करना शुरू कर दिया। कुछ ही समय में सभी पटवारियों ने ग्रुप छोड़ दिया।
यह बात भार्गव को नागवार गुजरी तो वे आनन-फानन में सलाह-मशविरा के लिए भोपाल आ धमके। इसी बीच पटवारियों ने भी उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया। वे भी लामबंद होकर भार्गव के खिलाफ कलेक्टर निशांत वरवड़े को ज्ञापन देने पहुंच गए। इससे भार्गव और तिलमिला उठे।
आशीष भार्गव ने भोपाल पहुंचकर वरिष्ठ अफसरों के सामने अपना दर्द बयां किया। साथ ही यह जानने की कोशिश की कि क्या वे सभी पटवारियों के खिलाफ अनुशासनहीनता की कार्रवाई कर सकते हैं? इस बारे अफसरों के एक मत न होेने के कारण फिलहाल भार्गव ने बौखलाकर मौखिक चेतावनी दे दी है।
उच्च अधिकारियों ने बताया कि अापके द्वारा बनाया गया व्हाटसप ग्रुप छोड़ना अनुशासनहीनता की परिधि में नहीं आता है। अब भार्गव को मलाल इस बात का है कि उनके नवाचार को अधिनस्थों ने ही पलीता लगा दिया। अगर यह प्रयोग सफल हो जाता तो निश्चित ही आगे चलकर इसे पूरे प्रदेश में लागू करने पर विचार हो सकता था। इतना ही नहीं अगर इस नवाचार को राज्य और केंद्र स्तर पर सराहना मिलती तो भार्गव पुरस्कृत भी हो सकते थे।
दूसरी तरफ पटवारी भी एकजुट होकर भार्गव के खिलाफ मुहिम चलाने की तैयारी कर रहे हैं। उनका कहना है कि ऐसा न तो कोई सरकारी आदेश है और न ही एसडीएम के व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ने की अनिवार्यता। फिर बेवजह उन्हें परेशान क्यों किया जा रहा है।
इनपुट: राधेश्याम दांगी, पत्रकार, भोपाल