
तत्पश्चात सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी ६९६७/२०१५ एवं ७६१८/२०१५ की सुनवाई दिनांक ११/५/२०१६ को शासन ने सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष पेरा 42 (मॉडिफिकेशन) के तहत रखा था कि "हाईकोर्ट के फैसले में 5 वर्ष का अनुभव एचएम+यूडीटी एवं अध्यापक की अनिवार्यता समाप्त कर दी जिसके कारण 36000 अभ्यर्थी एईओ की परीक्षा से वंचित रह गये इसलिए सित0 2013 की परीक्षा निरस्त की जाकर नई परीक्षा ली जाना न्यायोचित होगा।"
सुप्रीम कोर्ट ने शासन को अंतरिम आदेश में कहा कि शासन चाहे तो पुन: परीक्षा हेतु विज्ञापन जारी कर एईओ की भर्ती कर सकती है।
माननीय मुख्यमंत्री महोदय अब एईओ की भर्ती करना शासन के अधिकार में है, पुन: परीक्षा का निर्णय लेकर वेरिफाईड एईओ के साथ अन्याय नही कर सकती ऐसा करना असंवैधानिक भी है।राजपत्र अनुसार शासन ने सुप्रीम कोर्ट में कहा किन्तु परीक्षा निरस्ति के स्थान पर केबिनेट हाईकोर्ट के फैसले के अनुसार 5 वर्ष के अनुभव की अनिवार्यता को समाप्ति एवं शैक्षणिक अनुभव नियुक्ति दिनांक से देने का प्रस्ताव पारित कर इसी परीक्षा से नियुक्ति कर सकती है।
मोहन्तीजी भी जानते है परीक्षा से कोई वंचित नही रहा इसीलिए पहली लिस्ट लगभग 3500 में से आधे से भी अधिक अपात्र थे यही अनुपात 23000 में से है, अर्थात लगभग 11500 से भी अधिक यह संख्या 36000 में से ही है। शेष ने आवेदन नही किया था वह अब भी आवेदन नही करेंगे।
कुछ लोग हो सकते है उनके लिए शासन चाहे तो नियमानुसार अवसर प्रदान कर सकती है किन्तु इसके कारण महत्वपूर्ण योजना को लम्बित करने का क्या ओचित्य है। शासन मेरिट लिस्ट जारी कर हमारी नियुक्ति करे अन्यथा सुप्रीम कोर्ट अंतिम आदेश में तो वेरिफाईड एईओ के साथ उचित न्याय करेगा ही।
सितम्बर 2013 से इंतजार में
निवेदनकर्ता
वेरिफाईड एईओ
प्रमोदसिंह पवांर
तलेन, जिला राजगढ़ (ब्यावरा) म०प्र०