क्षिप्रा ने किसी की जात नहीं पूछी, समरसता स्नान की नौटंकी क्यों

भोपाल। जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने मंगलवार को भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि कुंभ में दलितों के साथ समरसता स्नान की नौटंकी क्यों? उन्होंने सवाल उठाया कि न तो किसी नदी ने कभी किसी की जाति पूछी है और न किसी ने दलितों को इनमें स्नान करने से रोका है। अभी भी इतने दिन से कुंभ चल रहा है, दलितों को स्नान करने से किसी ने नहीं रोका, तो फिर दलितों के साथ भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की 11 मई को कुंभ में स्नान करने की घोषणा दिखावा और सियासी नौटंकी नहीं तो क्या है? ऐसे समरसता स्नान से तो भेदभाव बढ़ेगा। 

आरक्षण को देशभर में पूरी तरह खत्म करें 
आरक्षण के मुद्दे पर उन्होंने दोहराया कि इसे देश भर में पूर्णत: समाप्त किया जाना चाहिए। योग्यता के आधार पर वरीयता दी जाए। वैचारिक महाकुंभ पर वे बोले कि इसमें एक ही विचारधारा के लोग शामिल हैं, तो फिर कैसा वैचारिक कुंभ। उन्होंने कहा कि शराब के साथ ही नशे की अन्य वस्तुओं की बिक्री पर भी रोक लगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि गुजरात व बिहार की तरह मप्र में भी शराब बंदी हो तो बहुत अच्छी बात है। जेएनयू में पिछले दिनों देश विरोधी नारे लगाए जाने के मामले में उन्होंने कहा कि देश की युवा पीढ़ी को नैतिक शिक्षा का पाठ पढ़ाने की जरूरत है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय को ध्यान देना चाहिए कि स्कूल-काॅलेजों में भारतीय संस्कृति से जुड़ी बातें और संस्कारों की शिक्षा का समावेश है भी या नहीं। महिलाओं के मंदिर में प्रवेश के मामले में शंकराचार्य ने कहा कि अपवाद छोड़ दें तो महिलाओं को मंदिरों में प्रवेश पर कहीं रोक नहीं है। 

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