जब राज्यसेवा में स्केलिंग खत्म हो गई तो वनसेवा में क्यों नहीं

इंदौर। राज्य वन सेवा परीक्षा में जारी स्केलिंग पद्धति का उम्मीदवारों ने विरोध शुरू कर दिया है। मुख्य परीक्षा के नतीजों के बाद उम्मीदवारों ने मांग उठाई है कि स्केलिंग खत्म की जाए। उनकी दलील है कि पीएससी ने अपनी बड़ी परीक्षा राज्यसेवा से स्केलिंग खत्म कर दी है तो वन सेवा में इसे जारी क्यों रखा गया है।

वन सेवा की मुख्य परीक्षा में अनिवार्य विषय के रूप में सामान्य अध्ययन का पेपर होता है। परीक्षा में 9 ऐच्छिक विषय होते हैं। इनमें पर्यावरण, प्राणीशास्त्र, वनस्पति विज्ञान, कृषि, भौतिकी, गणित, सांख्यिकी, सिविल इंजीनियरिंग और मैकेनिकल इंजीनियरिंग शामिल हैं। इनमें से किन्हीं दो पसंदीदा विषय चुनकर उम्मीदवारों को परीक्षा देना होती है। रिजल्ट तैयार करने के लिए ऐच्छिक विषयों में प्राप्त अंकों का माध्य, मानक विचलन निकालकर एक स्पेशल फॉर्मूला से जोड़, घटाव, गुणा-भाग किया जाता है। उम्मीदवारों के लिए यह फॉर्मूला समझना भी मुश्किल है।

समान रूप से आंकने के लिए की गई लागू
पीएससी के मुताबिक स्केलिंग प्रणाली अलग-अलग विषयों से परीक्षा देने वाले उम्मीदवारों को समान रूप से आंकने के लिए लागू की गई है। विषयों की कठिनाई का स्तर अलग होता है। उसी लिहाज से विषयों के प्राप्तांकों का औसत भी बदलता है। ऐसे में प्राप्तांकों के अनुसार मेरिट नहीं बनाई जा सकती। लिहाजा स्केलिंग कर अंक निकालकर मेरिट बनाई जाती है। स्केलिंग खत्म करना है तो ऐच्छिक विषय भी खत्म करना होंगे। राज्यसेवा परीक्षा में भी पहले ऐसा ही किया गया था। इसके लिए कैबिनेट से मंजूरी के बाद प्रस्ताव तैयार होता है अंतिम मंजूरी के बाद गजट नोटिफिकेशन होकर ही परीक्षा की प्रणाली बदली जा सकती है।
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