कोर्ट की फटकार सुन बेहोश हो गए डीजीपी

राजस्थान हाईकोर्ट की कड़ी टिप्पणी से राज्य के डीजीपी मनोज भट्ट को कोर्ट रुम में ही चक्कर आ गया। जज साहब ने पानी मंगवा कर पिलवाया और कुर्सी मंगाकर बैठाया। डीजीपी की हालत देख जज साहब को कहना पड़ा कि कोर्ट की मौखिक टिप्पणी से मत घबराइए।

दरअसल राज्य में लगातार गुम हो रहे नाबालिग लड़के-लड़कियों के मामले में कोई कार्रवाई नहीं होने से नाराज होकर कोर्ट ने डीजीपी समेत आधा दर्जन राज्य के आला पुलिस अधिकारियों को तलब किया था। सुनवाई के दौरान जज साहब डीजीपी से सवाल पूछते रहे और डीजीपी जवाब देते रहे। 40 मिनट तक खड़े रहकर जवाब देने के बाद जब जज साहब डीजीपी के जवाब से संतुष्ट नही हुए तो कहा कि राज्य में पुलिस पैसे मांग रही है, ऐसे मामले में कोर्ट चुप नही बैठेगा। पुलिस काम करके दिखाए। अगर कोर्ट के आदेश का पालन नहीं हुआ तो डीजीपी को भी जेल जाना पड़ सकता है।

लड़खड़ा रहे डीजीपी को एजीडी ने संभाला 
कोर्ट की इस मौखिक टिप्पणी को सुनते ही डीजीपी को चक्कर आ गया। डीजीपी लड़खड़ाने लगे तो एडीजी क्राइम पंकज सिंह ने सहारा देकर संभाला। अलवर में हैबियस कारपस (बंदी प्रत्यक्षीकरण) के मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि पैसे मांगने वाले पुलिसकर्मी पर कार्रवाई करें।

कोर्ट ने कहा- कितना वक्त मांगोगे?
कोर्ट ने डीजीपी से पूछा कि अब तक आपने गुमशुदा बच्चों की रिकवरी के लिए क्या किया है? इस पर डीजीपी ने कहा कि 90 फीसदी सफलता पाई है। इस पर कोर्ट ने कहा कि ऐसा कोई उदाहरण आप बता सकते हैं जिसमें पुलिस ने वाकई में रिकवरी की है। इस पर सरकारी वकील ने एक महीने का और वक्त मांगा। इससे नाराज कोर्ट ने कहा कि कब तक और कितना वक्त मांगेंगे। सालों हो चुका है, आखिर कितना वक्त दें।

'हम आंख मूंद कर नहीं रह सकते'
कोर्ट ने डीजीपी से कहा कि आप तो अपनी मर्जी से कोई भी थाना चुन लें और आम आदमी की तरह एफआईआर करवाने जाएं, आपको पता चल जाएगा कि कितना सुधार हुआ है। कोर्ट ने कहा, 'हम आंख मूंद कर नहीं रह सकते, आपकी पूरी व्यवस्था फेल हो चुकी है।' हालांकि कोर्ट में मौजूद अलवर एसपी ने कहा कि इस मामले में थानाधिकारी को सस्पेंड कर दिया गया है। कोर्ट ने राज्य के सभी जिलों में गुमशुदा नाबालिग बच्चों के मामले में विस्तार से रिपोर्ट तैयार कर एसपी को हर एक मामले में मानिटरिंग के आदेश दिए हैं। मामले में अगली सुनवाई 16 मई को होगी।
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