दिव्यांग फर्जी विवाह कांड: कितना मासूम और भोला है बालाघाट प्रशासन

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शासन ने 26 अप्रैल को इनकी शादी कराई, बच्चे क्या दहेज में आ गए
बालाघाट। यहां हुए दिव्यांग फर्जी विवाह कांड में जिला प्रशासन की ओर से खंडन जारी किया गया है। प्रशासन का दावा है कि स्थानीय अखबार 'जबलपुर एक्सप्रेस' की खबर पूरी तरह से भ्रामक एवं असत्य है। प्रशासन ने अपने समर्थन में कुछ तर्क भी दिए हैं। इन तर्कों को पढ़ने के बाद लगता है जैसे बालाघाट का प्रशासन अबोध बालक की तरह मासूम और भोला भाला है। उसे कोई भी उल्लू बना सकता है। 

अखबार ने दावा किया है कि प्रशासन ने दिव्यांग विवाह योजना के तहत पहले से विवाहित दंपत्तियों की दोबारा शादी करा दी। अखबार ने शादीशुदा दंपत्तियों के फोटो भी प्रकाशित किए। इन फोटोग्राफ्स में दंपत्तिगण अपने बच्चों के साथ नजर आ रहे हैं। जबकि प्रशासन का दावा है कि समग्र आईडी में आवेदक की पत्नी वाला कॉलम खाली था, इसलिए हमने उसे अविवाहित मान लिया। आवेदकों ने शपथ पत्र पर हस्ताक्षर किए थे, इसलिए हमने उन्हे अविवाहिता मान लिया। 

सवाल यह है कि यदि किसी व्यक्ति का समग्र आईडी में नाम ही ना हो तो क्या प्रशासन उसे जिंदा ही नहीं मानेगा। यदि कोई झूठा शपथ पत्र पेश करके कोई भी दावा कर देगा तो क्या प्रशासन उसे सच मान लेगा। वेरीफिकेशन और जांच पड़ताल नाम की कोई प्रक्रिया होती है या नहीं। एक अदने से अखबार के मुट्ठीभर सहयोगी मामले की छानबीन कर लाए और हजारों कर्मचारियों के मजबूत नेटवर्क वाला प्रशासन सच का पता तक नहीं लगा पाया। अच्छा है ऐसा प्रशासन उच्चस्तर पर नहीं है, अन्यथा कोई शपथ पत्र ले आता कि मैं आईएएस हूं, तो ये वाले अधिकारी उसे कलेक्टर बनाकर भेज देते। वाह रे प्रशासन, हाय री व्यवस्था।

लीजिए विस्तार से पढ़िए बालाघाट प्रशासन की ओर से भेजा गया खंडन
समाचार पत्र जबलपुर एक्सप्रेस में दिनांक 21, 22, 23, 24 एवं 25 मई 2016 के अंक में दिनांक 26 अप्रैल 2016 को आयोजित सामूहिक दिव्यांग विवाह में फर्जीवाड़ा होने एवं पूर्व से विवाहित जोड़ों का पुनः विवाह कराये जाने का समाचार प्रकाशित किया गया है। यह सामूहिक विवाह कार्यक्रम समाज सेवियों एवं सामाजिक संगठन दान-दाताओं की देखरेख में पूर्ण पारदर्शिता के साथ जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति एवं सहागिता में आयोजित किया गया है। इसमें फर्जीवाड़ा होने की खबर गलत व भ्रामक है। 

समाचार पत्र में प्रकाशित विवाहित जोड़ो से संबंधित उनके द्वारा प्रस्तुत आवेदन पत्रों का परीक्षण किये जाने पर पाया गया है कि 
  • धनेश आर्माे पत्नी सुकवारो ग्राम-गुराखारी, पोष्ट-आमगांव विकासखण्ड-बैहर के आवेदन पत्र में वर-वधु दोनो के हस्ताक्षर है एवं संलग्न दस्तावेजों में परिवार की समग्र आईडी में मात्र श्री धनेश का नाम ही दर्ज होना पाया गया। इनकी पत्नी का नाम समग्र आईडी में अंकित नहीं है जिससे इस व्यक्ति के पूर्व से विवाहित होने की पुष्टि नहीं होती है। 
  • इसी प्रकार कन्हैया बिसेन पत्नी अनुसुईया ग्राम-गुराखारी, पोष्ट-आमगांव विकासखण्ड-बैहर के आवेदन पत्र में समस्त दस्तावेज उपलब्ध नहीं होने के कारण संबंधित का आवेदन पत्र लंबित रखा गया है एवं भुगतान नहीं किया गया है। 
  • संजय उईके ग्राम-कोहका पोस्ट-बिरवा विकासखण्ड-बैहर द्वारा प्रस्तुत आवेदन पत्र के साथ संलग्न दस्तावेजों में परिवार की समग्र आईडी एवं राशन कार्ड में टेकन तेकाम का नाम दर्ज नहीं है। ऐसी स्थिति में संजय उईके पत्नी श्रीमती टेकन तेकाम के पूर्व से विवाहित होने की पुष्टि नहीं होती है।
  • सोनु सिंह बैगा ग्राम-कोपरो, विकासखण्ड-बैहर के आवेदन पत्र में समस्त दस्तावेज उपलब्ध नहीं होने के कारण संबंधित का आवेदन पत्र लंबित रखा गया है एवं भुुगतान नहीं किया गया है। पति-पत्नी द्वारा 100 रूपये के नॉन जुडिशिल स्टॉप पर हस्ता. युक्त दिये गये शपथ-पत्र की कण्डिका 4 अनुसार पूर्व से विवाहित नहीं होने का शपथ-पत्र दिया गया है। अतः संबंधित के पूर्व से विवाहित होने की पुष्टि नहीं होती है। 
  • कृष्णकांत ग्राम-कटंगी विकासखण्ड-बैहर इस नाम एवं पते के किसी व्यक्ति का विवाह सामूहिक विवाह कार्यक्रम में सम्पन्न नहीं कराया गया है। अतः समाचार पत्र में प्रकाशित जानकारी असत्य एवं निराधार है। 
  • रमेश पन्द्रे ग्राम-कटंगी विकासखण्ड-बैहर के आवेदन पत्र में वर-वधु दोनो के हस्ता. है एवं संलग्न दस्तावेजों में परिवार की समग्र आईडी में परिवार के अन्य सदस्यों के साथ श्री रमेश पन्द्रे का नाम दर्ज होना पाया गया। इनकी पत्नी प्रमीला का नाम समग्र स्लीप में अंकित नहीं है। पति-पत्नी द्वारा 100 रूपये के नॉन जुडिशिल स्टॉप पर हस्ता. युक्त दिये गये शपथ-पत्र की कण्डिका 4 अनुसार पूर्व से विवाहित नहीं होने का शपथ-पत्र दिया गया है। अतः संबंधित के पूर्व से विवाहित होने की पुष्टि नहीं होती है।


शासन के निर्देशानुसार मेडिकल बोर्ड द्वारा दिव्यांगजनों को दिव्यांगता का प्रमाण पत्र स्थाई/पांच वर्षों र्की अवधि के लिये जारी किया जाता है अवधि समाप्त होने के उपरांत उसका मेडिकल बोर्ड द्वारा पुनः नवीनीकरण किये जाने का प्रावधान है। विवाहित जोड़ों को पूर्व मे दिव्यांगता प्रमाण-पत्र जारी किया गया है।

अतः उक्त आधार पर संबंधितों के पूर्व से विवाहित होने के पश्चात् भी पुनः विवाह नहीं कराया गया है और ना ही नियम विरूद्ध योजना मद् से किसी को प्रोत्साहन राशि का भुुगतान किया गया है। ऐसी स्थिति में समाचार जनमानस को भ्रामित करने एवं विभाग की छवि को धुमिल करने की मंशा से प्रकाशित कराया जाना प्रतीत होता है।
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