
अदालत ने यह व्यवस्था शहडोल जिले के बुढ़ार थानांतर्गत ग्राम ललपुर में रहने वाले राजा बर्मन उर्फ राहुल की ओर से दायर जमानत अर्जी खारिज करते हुए दी। राजा पर आरोप है कि उसनेे एक नाबालिग लड़की को शादी का लालच देकर उससे अवैध संबंध बनाए। इसके कारण लड़की गर्भवती हो गई। समाज में होने वाली बदनामी के डर से लड़की ने 10 दिसंबर 2015 को फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। जांच के दौरान बलात्कार की बात सामने आने पर पुलिस ने राजा को गिरफ्तार किया था। इस मामले में जमानत का लाभ पाने यह अर्जी हाईकोर्ट में दायर की गई थी।
बचाव पक्ष का दावा
इस मामले में उनके मुवक्किल को झूठा फंसाया गया है। दरअसल, पीड़ित लड़की के संबंध एक प्रियांशु नाम के लड़के से थे। वो भी अवयस्क था। एक साजिश के तहत उनके मुवक्किल को फंसाया गया, जबकि पुलिस के पास कोई सबूत भी नहीं हैं।
सरकारी वकील की दलील
सरकार की ओर से पैनल अधिवक्ता केएस पटेल ने धारा 161 के तहत मृतका की मां और पीड़ित की एक सहेली के बयानों का हवाला दिया। बयान में कहा गया था कि राजा के अवैध संबंध से ही पीड़ित गर्भवती हुई और इसी वजह से उसने आत्महत्या की।
ऐतिहासिक फैसले में कोर्ट ने कहा
बलात्कार के अनेक मामलों में यह देखा गया है कि आरोप साबित करने के लिए सबसे असरदार तरीका डीएनए टेस्ट का होता है, जो पुलिस यदा-कदा ही इस्तेमाल करती है। डीएनए रिपोर्ट किसी भी व्यक्ति को दोषी या निर्दोष साबित कर सकती है।
अब ये करना होगा पुलिस को
भादंवि की धारा 376 के तहत दर्ज हर मामले में डीएनए जांच की सिफारिश की गई है। इसके साथ ही अदालत ने तीन व्यवस्थाएं भी दी हैं।
(1) एमएलसी के दौरान पीड़ित के गुप्तांग और कपड़ों के स्लाइड बनाकर एफएसएल में भेजकर पता लगाया जाए कि क्या उसमें मनुष्य के शुक्राणु मौजूद हैं। शुक्राणु मिलने पर नमूना डीएनए टेस्ट के लिए भेजा जाए, ताकि आरोपी के रक्त नमूने से उसका मिलान हो सके।
(2) यदि बलात्कार से पीड़ित गर्भवती हो हुई और उसे संतान उत्पन्न हुई है तो वल्दियत को सुनिश्चित करने के लिए डीएनए टेस्ट कराया जाए। यदि पीड़ित का गर्भपात कराया जाता है तो उसके गर्भ के टिशू नमूने की भी जांच कराई जाए और उसका मिलान संदिग्ध से किया जा सके।
(3) गर्भवती होने के दौरान यदि पीड़ित का निधन होता है, तब भी वही तरीका अपनाया जाए, जो कण्डिका 2 में उल्लेखित है।