
पीएससी ने प्रदेशभर के सरकारी कॉलेजों में 2009 में सीधे प्रोफेसर पद पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया था। 2010 में चयन सूची जारी हुई। पॉलिटिकल साइंस विषय की चयन सूची में डॉ. पवन कुमार शर्मा का नाम पहले नंबर पर था। 2010 में नियुक्ति आदेश जारी हुआ। उन्हें भोपाल के सरकारी कॉलेज में पदस्थापना दी गई। बाद में अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विवि में विभागाध्यक्ष बना दिया गया। मामले में शिकायत हुई कि डॉ. शर्मा को फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर नियुक्ति दी गई। जांच का जिम्मा एसटीएफ को सौंपा गया।
आगरा यूनिवर्सिटी तक जांच
डॉ. शर्मा ने चयन की अनिवार्य योग्यता में शामिल अनुभव प्रमाण-पत्र में आगरा यूनिवर्सिटी और सेंट जॉन्स कॉलेज आगरा में अध्यापन के प्रमाण-पत्र पेश किए थे। आरोप लगे कि पीएससी ने जानबूझकर बिना जांचे फर्जी प्रमाण-पत्र के आधार पर चयन किया। शिकायत के बाद एसटीएफ जांच के लिए आगरा पहुंची। मामले में आगरा यूनिवर्सिटी के तत्कालीन रजिस्ट्रार बालाजी यादव के भी बयान दर्ज हुए। पीएससी से भी दस्तावेज जब्त कर लिए गए हैं। इधर शिकायतकर्ता आरटीआई कार्यकर्ता पंकज प्रजापति ने आरोप लगाया कि उप्र में गर्ल्स कॉलेज में कभी पुरुष शिक्षक नियुक्त नहीं किए जाते। आजादी के बाद से यह सरकारी नियम बरकरार है। इस तथ्य को अनदेखा कर पीएससी ने प्रमाण-पत्र मान्य किए।