छतरपुर। महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी में नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर काफी सवाल उठ रहे हैं गुरुवार को यूनिवर्सिटी की पहली कार्यपरिषद की बैठक हंगामेदार रही। कार्यालय के बाहर छात्र संगठनों ने उग्र प्रदर्शन किया। अंदर बैठक में सदस्यों ने यूनिवर्सिटी प्रबंधन की ओर से प्रस्तुत बजट सहित सभी जानकारियों में खामियां पकड़ीं। नियुक्ति प्रक्रिया के ब्यौरे में सदस्यों ने बैठक में ही कई खामियां पकड़ लीं, जिससे कुलपति निरुत्तर हो गए। बैठक में कुलपति की ओर से बनाई गई मामले की जांच समिति को भी अस्वीकृत कर दिया गया है।
बैठक शुरू होने से पहले ही छात्र संगठनों ने कार्यालय परिसर में विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। कुलपति को काला झंडा दिखाते हुए उनका पुतला फूंका और भर्ती प्रक्रिया को निरस्त करने की मांग की। इन नियुक्तियों में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए छात्र संगठन लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शनकारी इसे छतरपुर का व्यापम घाेटाला बता रहे हैं। गौरतलब है कि यूनिवर्सिटी में 23 चयनित भृत्यों, ड्राइवरों और इलेक्ट्रीशियन को अब यूनिवर्सिटी में कार्य करने का मौका मिल गया है। इस संबंध में कुलपति डा. प्रियव्रत शुक्ला के दबाव में रजिस्ट्रार एलएस सोलंकी ने बुधवार की शाम को आदेश जारी कर दिए हैं।
कार्यपरिषद की बैठक में नियुक्तियों में गड़बड़ी का मुद्दा एजेंडे से गायब था। फिर भी सदस्यों की मांग पर नियुक्तियों के मामले पर चर्चा की, तो चर्चा शुरु होते ही नियुक्तियों में की गई गड़बड़ियां उजागर होने लगीं। सदस्यों के सवालों पर कुलपति निरुत्तर हो गए। नियुक्तियों को लेकर कुलपति और नए रजिस्ट्रार में स्पष्ट मतभेद दिख रहे थे।
सदस्यों ने बदली कुलपति की समिति
कुलपति की ओर बनाई गई तीन सदस्यीय जांच समिति को सदस्यों ने अमान्य कर दिया। कुलपति ने 3 प्रोफेसरों को समिति में शामिल किया था। सदस्यों ने कहा कि इस जांच समिति में 4 सदस्य होंगे, इसमें एक न्यायिक क्षेत्र से, एक प्रशासनिक क्षेत्र से अधिकारी और दो ईसी के सदस्यों को शामिल किया जाए। अब यही समिति नियुक्तियों में गड़बड़ी की जांच करेगी।