बॉर्डर पर BSF के अधिकारी कराते हैं घुसपैठ: जवान का आरोप

नईदिल्ली। बॉर्डर सिक्यूरिटी फोर्स (बीएसएफ) के एक जवान ने सनसनीखेज आरोप लगाते हुए कहा है कि बड़े अधिकारी बांग्लादेश बॉर्डर पर घुसपैठ कराने से लेकर तस्करी तक में लिप्त हैं। इतना ही नहीं जवान का कहना है कि अगर कोई उनका विरोध करता है तो उसे प्रताड़ित किया जाता है और उसकी हत्या तक करा दी जाती है।

पीड़ित जवान उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले का रहने वाला है। उसके मुताबिक जब उसने इन अधिकारीयों की करतूत का विरोध किया तो उसे प्रताड़ित किया गया। इतना ही नहीं उसे थर्ड डिग्री भी दी गई और उसके बदन को सिगरेट से जलाया गया।

जवान का कहना है कि किसी तरह से भागकर उसने अपनी जान बचाई। उसका आरोप है कि उसने पश्चिम बंगाल पुलिस से लेकर उत्तर प्रदेश पुलिस तक में इसकी शिकायत की लेकिन किसी ने उसकी नहीं सुनी। उसने कहा कि बीएसएफ हेल्पलाइन नंबर पर भी शिकायत दर्ज कराई लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।

क्या कहा जवान ने?
मिर्जापुर जनपद के कोलउंड गाव के निवासी मोहम्मद अंसारी (बदला हुआ नाम), बीएसएफ में कांस्टेबल के पद पर कार्यरत हैं, जिनकी ड्यूटी इन दिनो बांगलादेश बार्डर पर नादिया जिले के रंगियापोतो पोस्ट पर लगी हुई थी, लेकिन अपने अधिकारीयों के प्रताड़ना से ये बटालियन छोड़ कर भाग आये। अंसारी को इसलिये प्रताड़ित किया जा रहा था क्योंकि इसने बॉर्डर पर घुसपैठ करने वालों और पशु तस्करों को रोका था। अंसारी अपनी ड्यूटी के दौरान घुसपैठियों को भारत आने नहीं देते थे। 

घटना इसी साल के 15 जनवरी की है। जब लगभग 50 बंग्लादेशी भारत मे घुसना चाह रहे थे मगर जवान ने उन्हें घुसने नही दिया। जिसके बाद घुसपैठियों ने उनके कमांड़र से मोबाइल पर बात कराया और कमांडर ने जवान को सख्त निर्देश दिया कि उन्हें बॉर्डर पार करने दो। कमाडंर का आदेश मानकर अंसारी ने बांग्लादेशियों को तो भारत मे घुसने दिया मगर उनकी आत्मा उसे कचोटने लगी। फिर जवान ने इस घटना का जिक्र लागबुक मे कर दिया। बस यहीं से उनके बुरे दिन शुरु हो गये।

इस घटना के बारे मे अंसारी ने लगातार तीन दिन तक शाम को होने वाली परेड में उठाया मगर उनकी नहीं सुनी गई तो उन्होंने लिखित रुप से एक कंमाडर से साक्षात्कार का समय मागा और उस घटना को जब कंमाड़र को बताया तो उल्टा उस कंमाडर ने अंसारी को चुप रहने की नसीहत दे डाली।

अंसारी ने ये भी बताया कि शाम 6 से सुबह 6 बजे तक सीमा के गेट नही खोले जाते जब तक कि कोइ विशेष आदेश न हो लेकिन 19 जनवरी को रात 9 बजे उनके पोस्ट की गेट को खोल दिया गया था। आखिर क्यों अंधेरी रात में गेट को खोला गया। इस बात को भी उन्होंने अपने कंमाडर से पूछा और मामले को आगे बढ़ाया।

ऐसा नहीं है कि अंसारी ने मौखिक आरोप लगाए हैं बल्कि उसने अपने मोबाइल कैमरे से तमाम साक्ष्य भी एकत्र किया। मोबाइल क्लिप को भी उसने कमांडर के सामने पेश किया। जिसका जवाब कमांडर नही दे पाया।

खुलेआम होती है तस्करी
जवान के अनुसार अधिकारी खुलेआम तस्करों को आने-जाने देते हैं और कहते हैं कि ये जी और एच क्लास के लोगों का सामान है। यानी इन्हें सीमा पार लांबिग के लिए भेजा जाता है और इसी की आड़ मे तस्करी का खेल चलता है। ये अधीकारी सीमा पर लगे बाड़ को काटते और जोड़ते भी रहते हैं।

एसे ही दो संदिग्धो को इस जवान ने सीमा पर लगे बड़ों से छेड़छाड करते पकड़ा तो उसने बताया कि उन्हें कमांडर ने ही भेजा है। जवान ने इस वाकये को भी मोबाइल में कैद कर लिया है। अंसारी ने एक और वीडियो एक टीवी चैनल ईटीवी को उपलब्ध कराया जिसमें एक संदिग्ध बंग्लादेशी बीएसएफ के लंगर में काम कर रहा है। उससे जब अंसारी ने पुछा कि तुम्हें किसने रखा है और पैसा कौन देता है। तो उसने बताया कंमाडर ने रखा है लेकिन पैसे के बदले साइकिल तस्करी की हर माह 10 से 15 पर्ची मिल जाती है, जिसे वो बांग्लादेश पहुचाता है। बता दें कि कुछ आवश्यक वस्तुओं को घरेलू इस्तेमाल के लिए ले जाने के लिये लोगों को पर्ची मिलती है। लेकिन अधिकारी वो पर्ची तस्करी के लिये दे देते हैं। जिसकी वजह से भारत से 35 सौ की साइकिल बांग्लादेश में 5 हजार मे बिकती है। 

हत्या के डर से भागा जवान
इन तमाम घटनाओं का विरोध करना इस जवान को भारी पड़ा और अधिकारियों को ये भी पता लग गया कि उनके गुनाहों को वह अपने मोबाइल कैमरे मे कैद कर रहा तो उसका मोबइल जब्त कर लिया गया। उसको बंद कर सिगरेट से जलाकर दबाव बनाया गया कि अपनी शिकायत वापस ले ले। एक दिन उसे अहसास हुआ कि शायद उसकी हत्या कर दि जाये तो डर के वो भाग निकला और मिर्जापुर अपने घर आ गया। 

बॉर्डर पर जवान सुसाइड नहीं करते बल्कि हत्या कराई जाती है
वो इतना डरा है कि वापस नौकरी मे नहीं जाना चाहता। उसे ये भी डर है कि उसे भगोड़ा घोषित कर दिया जाएगा। जवान ने बताया कि अक्सर सीमा से खबर आती है कि जवानों की तस्करों ने गला काट कर हत्या कर दी या जवान ने अपनी ही बंदूक से आत्महत्या कर ली लेकिन ऐसा नहीं होता। बल्कि जो अधिकारियों के रास्ते मे आता है उसे हटा दिया जाता है। अगर वो नहीं भागता तो शायद उसका भी यही हश्र होता। 

अब इस जवान का कहना है कि वह सिर्फ इतना चाहते है कि उसके ऊपर भगोड़ा होने का आरोप न लगे। ताकि वह समाज में इज्जत से जी सके। दूसरी तरफ जब उसके भाई ने अधिकारीयों से बात की तो उन्होंने कहा की उसे वापस भेजो और कहो की माफ़ी मांगे। हालांकि जब ईटीवी ने दिल्ली में बैठे इन बीएसएफ के अधिकारीयों से इस मसले पर पर्तिक्रिया लेनी चाही तो को आधिकारिक जवाब नहीं मिला। 
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