
ट्रिब्यूनल ने एक मृत व्यक्ति की शादीशुदा बहन को 51.75 लाख रुपए मुआवजा पाने के योग्य ठहराया है। दावेदार दिव्या आलोक श्रीवास्तव ने एमएसीटी को सूचित किया कि एक सड़क दुर्घटना में उनके भाई अभिषेक कुमार की मौत हो गई। 23 मई 2007 को उनके भाई ने साई नेटवर्क एजेंसी से एक टैक्सी ली थी और माता-पिता के साथ शिर्डी के लिए रवाना हुआ था।
अगली सुबह पुणे के पास टैक्सी ड्राइवर सागर विलास लोखंडे नियंत्रण खो बैठा। गाड़ी सड़क किनारे एक पेड़ से टकरा गई। इस दुर्घटना में उनके भाई, माता-पिता और टैक्सी चालक की मौके पर ही मौत हो गई।
दिव्या ने आरोप लगाया कि चालक की गलती से दुर्घटना हुई थी। उन्होंने अपने भाई की मौत के लिए मुआवजा मांगा। दिव्या के भाई अभिषेक आईसीआईसीआई बैंक में कार्यरत थे और उनकी आय चार लाख रुपए सालाना थी।
टैक्सी मालिक ने उनके दावे का विरोध नहीं किया और मामले का निपटारा दिव्या के खिलाफ एकतरफा सुनाया गया। बीमा कंपनी के वकील ने हालांकि यह दलील दी थी कि अर्जी दायर करने वाली दिव्या मोटर वाहन अधिनियम की धारा 166 के तहत मुआवजे की हकदार नहीं है। वकील ने कहा कि दावेदार शादीशुदा हैं और अपने भाई पर आश्रित नहीं हैं।