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विधायक सुखेन्द्र सिंह जिन्होंने बौखलाए अफसर को मारा |
विधानसभा में अपने खिलाफ लगे सवालों से आईएफएस पीक सिंह इस कदर बौखला गए कि वो सामने आए अन्य कांग्रेसी विधायक पर ही पिल पड़े। रेलवे स्टेशन पर अनाश शनाब बातें करने लगें। कुछ देर तक तो विधायक ने सबकुछ सहन किया। जब ज्यादा हो गया तो उन्होंने अफसर के गाल पर जमकर तमाचे जड़ दिए। बस फिर क्या था, उनके साथ मौजूद समर्थकों ने भी अफसर महोदय पर हाथ साफ कर डाले। रेलवे स्टेशन पर सबके सामने बुरी तरह पिटे वनविभाग के उक्त अफसर अब चुपचाप घर में दुबके हुए हैं। ना तो उन्होंने कोई एफआईआर कराई और ना ही मीडिया के किसी सवाल का जवाब दिया।
जानकारी के मुताबिक, मऊगंज से कांग्रेस विधायक सुखेंद्र सिंह 28 मार्च को रीवा से भोपाल आ रहे थे। उसी समय मुकुंदपुर व्हाइट टाइगर सफारी के निर्माण में अनियिमतताओं के आरोप झेल रहे सीसीएफ (मुख्य वन संरक्षक) पीके सिंह भी रीवा रेलवे स्टेशन पर मौजूद थे।
ट्रेन का इंतजार करते वक्त किसी ने कांग्रेस विधायक और सीसीएफ का परिचय करा दिया। जब दोनों के बीच बातचीत होने लगी तो सीसीएफ पीक सिंह ने कांग्रेस और बसपा के विधायकों पर पैसे मांगने के आरोप लगा दिए। जब विधायक सुखेंद्र ने उनकी इस बात का विरोध किया तो सीसीएफ ने यहां तक कह दिया कि, दस विधायक तो उन्होंने ही बनवाए हैं। कोई भी उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता।
यह सुनते ही कांग्रेस विधायक सुखेंद्र सिंह भारी नाराजगी व्यक्त की और आईएफएस अफसर से इस तरह विधायकों पर गलत आरोप लगाने से मना किया। इसके बावजूद पीके सिंह बदतमीजी पर उतर आए। इसी बात को लेकर रेलवे स्टेशन पर ही इतना विवाद बढ़ गया कि विधायक सुखेंद्र सिंह ने सीसीएफ को चांटे मार दिए। इसके बाद कार्यकर्ताओं ने भी उनके साथ मारपीट कर दी।
यह हुआ था विधानसभा में
उललेखनीय है कि विधानसभा में बजट सत्र के अंतिम दिन जंगल महकमे के रसूखदार सीसीएफ के भ्रष्टाचार का मामला उठ चुका है। कांग्रेस सदस्यों के सवालों का जवाब देते हुए वनमंत्री डा. गौरीशंकर शेजवार ने स्वीकार किया कि सीसीएफ पीके सिंह ने भ्रष्टाचार नहीं किया, बल्कि वित्तीय अनियमितताएं की हैं। इस संबंध में उन्हें आरोप पत्र दिया गया। मंत्री ने कहा कि पहले तो उनकी विभागीय जांच होगी और जरूरत पड़ी तो लोकायुक्त से भी जांच कराएंगे। कांग्रेस विधायक सुंदरलाल तिवारी, जीतू पटवारी और सुखेन्द्र सिंह ने ध्यानाकर्षण सूचना के जरिए सतना जिले के मुकुंदपुर में निर्माणाधीन चिड़ियाघर एवं प्राणी सह-उपचार केन्द्र के निर्माण में व्यापक भ्रष्टाचार का मामला उठाया था। कांग्रेस विधायकों ने रीवा के तत्कालीन सीसीएफ के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज कराने और 13 करोड़ रुपए वसलूने की मांग भी की थी।