
क्या है ये सुविधा
मप्र विद्युत नियामक आयोग ने 12 साल पहले डिस्ट्रीब्यूशन फरफारमेंस स्टैंडर्ड रेग्युलेशन लागू किया। इसमें तय समय पर काम नहीं होने पर उपभोक्ता को हर्जाना देने का नियम है। कुछ में कंपनी को ऑटोमैटिक हर्जाना देना है, वहीं कुछ के लिए आवेदन करना होता है।
शिकायत पर ये हर्जाना
सामान्य बिजली गुल - शहर में 4 घंटे के अंदर ठीक करना है। नहीं तो उपभोक्ता को अंतिम माह के बिल में 2 फीसदी की छूट। ग्रामीण इलाकों में 24 घंटे के अंदर काम होना चाहिए।
बिल संशोधन -आवेदन के दिन ही सुधार हो। आखिरी भुगतान किए गए बिल का 2 फीसदी छूट। हर्जाना देना है। दोनों में ऑटोमैटिक भुगतान।
आवेदन करने पर ही मिलेगा हर्जाना, वो भी अधिकतम 50 रुपए
फीडर लाइन बंद होना -12 घंटे के भीतर बंद फीडर लाइन चालू होनी चाहिए। नहीं तो प्रभावित हर उपभोक्ता को अंतिम भुगतान बिल पर 2.5 फीसदी छूट। गांव में 3 दिन के अंदर सुधार हो।
ट्रांसफार्मर खराब होना -24 घंटे में खराबी दुरुस्त हो। नहीं तो प्रभावित उपभोक्ताओं को अंतिम भुगतान बिल पर 2.5 फीसदी छूट। गांव में सात दिन के भीतर सुधार हो। दफ्तर में क्लेम करना होगा।
मीटर शिकायत- 7 दिन के भीतर जांच हो। नहीं तो अंतिम माह के बिल का एक फीसदी छूट।
मीटर जलने पर- 7 दिन के भीतर। अंतिम भुगतान बिल का 2 फीसदी छूट।
वोल्टेज डाउन- 10 दिन के भीतर सुधार हो। ऐसा नहीं तो अंतिम माह के भुगतान बिल का 2 फीसदी।
48 घंटे से ज्यादा सप्लाई ब्रेक तो 100 रुपए का हर्जाना
साल में 4 दफा ही शेड्यूल सप्लाई बे्रक 12 घंटे से अधिक नहीं होना चाहिए। ज्यादा होने पर अंतिम माह के भुगतान बिल पर 2 फीसदी छूट। अधिकतम 100 रुपये। दफ्तर में क्लेम करना होगा।
क्या करना होगा
शिकायत केन्द्र या कॉल सेंटर 1912 या 1800 233 1266 में काल करने के बाद और सुधार कार्य होने के बाद का वक्त देखें। सॉफ्टवेयर में शिकायत का समय दर्ज होता है। ज्यादा वक्त लगने पर उपभोक्ता अपना आवेदन बिजली दफ्तर में दे सकता है।