
अलफिया अपनी मां और सौतेले पिता के साथ बहुत खुश थी लेकिन हैदर को खुद का बच्चा चाहिए था। शादी के बाद सादिया गर्भवती हुई, लेकिन अलफिया की परवरिश में कोई कमी नहीं आए, इसलिए सादिया ने अबॉर्शन करा लिया। सादिया के अबॉर्शन के कारण पति-पत्नी के बीच आए दिन झगड़े होने लगे। विवाद इतना बढ़ा कि हैदर ने सौतेली बेटी को रास्ते से हटाने की साजिश रच डाली।
प्लानिंग के तहत हैदर ने छह हजार की सुपारी देकर बीनागंज से आरोपी जीतू और लोकेश को बुलाया। इसके बाद 2 अप्रैल को आरोपियों के साथ मिलकर अलफिया की तार से गला घोंटकर हत्या कर दी। आरोपियों ने लाश को बोरे में बंद कर कॉलोनी के पीछे गंदे नाले में फेंक दिया।
अलफिया के लापता होने पर उसकी मां ने बागसेवनिया थाने में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने मौके पर जाकर मामले की जांच की तो आसपास के कुछ लोगों ने दो युवकों द्वारा बोरे में बंद किसी सामान को नाले में फेंकने की बात पुलिस को बताई। शक होने पर पुलिस ने नाले से बोरे को निकालकर देखा, तो उसमें चार साल की मासूम अलफिया की लाश थी। इस पर पुलिस को शक हुआ कि किसी नजदीकी ने ही इस घटना को अंजाम दिया है। संदेह होने पर जब पुलिस ने आरोपी पिता से कड़ी पूछताछ की तो वो टूट गया और उसने अपना जुर्म कबूल कर लिया।