ग्वालियर। ग्वालियर-सबलगढ़ डीआरसी पैसेंजर में टिकट चेकिंग का एक नया ही रूप देखने को मिला। ग्वालियर से चेकिंग करने चड़े चेकिंग स्टॉफ ने बिना टिकट यात्रा करते पकड़े गए यात्रियों से ऐसा व्यवहार किया, जैसे उन्होंने बड़ा अपराध कर दिया हो। चेकिंग स्टॉफ ने कुछ यात्रियों के साथ अभद्रता तो की ही, उनकी पिटाई लगाई और दो यात्रियों से तो पैसे तक छीन लिए।
ग्वालियर से ही सीसीआई अखिलेश तिवारी एक टीसी के साथ नैरोगेज में सवार हुए। ट्रेन चलने के बाद कोच में चेकिंग शुरू की। तभी एक युवक बिना टिकट पकड़ा गया। इस युवक ने कहा कि लाइन लंबी थी, इसलिए वह टिकट नहीं ले पाया। इस पर सीसीआई ने सीधे उसकी जेब में ही हाथ डाल दिया। यह रेलवे के किसी नियम में नहीं लिखा कि आप किसी यात्री की जेब में हाथ डालकर पैसे निकाले।
उसकी एक जेब में 90 रुपए निकले और एक जेब में 10 रुपए निकले। इसके बाद एक और युवक को बिना टिकट पकड़ा तो उसकी भी जेब में हाथ डाल दिया। उसकी जेब में रुपए नहीं निकले तो उसका पिठ्ठू बैग उतारा और खुद ही चेन खोलकर पैसे निकाल लिए। ट्रेन जब मोतीझील स्टेशन पहुंची तो इंजन पर चढ़े दो यात्रियों को पकड़ लिया। इन्हें पीटने लगे। इनसे पैसे भी छीन लिए।
गार्ड भी कहने लगे, इस तरह की चेकिंग पहली बार देखी
ट्रेन में गार्ड एसके चौबे की ड्यूटी थी। वह पहली बार इस ट्रेन पर गए थे। जब उन्होंने सीसीआई का इस तरह का रवैया देखा तो वह चौंक गए। वह कहने लगे कि इस तरह की चेकिंग पहली बार देखी है, जिसमें यात्रियों को पीटा जा रहा है। उनसे पैसे छीने जा रहे हैं। उन्होंने यह बात ट्रेन के ड्राइवर और मोतीझील स्टेशन मास्टर को भी बताई।
मैं टीसी नहीं, आरपीएफ इंस्पेक्टर हूं
चेकिंग के दौरान एक और चौंकाने वाला घटनाक्रम हुआ। इसमें सीसीआई अखिलेश तिवारी कहने लगे कि मैं टीसी नहीं, आरपीएफ इंस्पेक्टर हूं। ज्यादा नखरे किए तो उठाकर बंद कर दूंगा। इस तरह सीसीआई ने यात्रियों को धमकाया।
अगर चीफ कमर्शियल इंस्पेक्टर द्वारा चेकिंग के दौरान मारपीट कर पैसे छीने गए हैं तो यह बहुत ही गंभीर मामला है। अगर यात्री बिना टिकट है तो आप उसे आरपीएफ को सौंप सकते हैं। मारपीट नहीं कर सकते। आप मुझे साक्ष्य दें, मैं इस मामले की जांच करवाता हूं।
एसके अग्रवाल
डीआरएम, झांसी रेल मंडल