
कोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई करते हुए कहा कि देश के पहले प्रधानमंत्री के जन्म स्थान पर उनकी मूर्ति लगाए जाने और उसे धरोहर के तौर पर संरक्षित कर उसकी बेहतर रखरखाव की मांग पूरी तरह जायज है और इसमें कुछ भी गलत नहीं है। हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद के बाद रेड लाइट एरिया में तब्दील हो चुके इलाहाबाद के मीरगंज इलाके में पंडित नेहरू की मूर्ति लगाए जाने और इस मोहल्ले को राष्ट्रीय धरोहर के तौर पर विकसित करने रास्ता साफ हो गया है।
पंडित जवाहर लाल नेहरू का जन्म 14 नवम्बर 1889 को इलाहाबाद के चौक इलाके के मीरगंज मोहल्ले में हुआ था। समय के साथ-साथ यह मोहल्ला बदनाम गलियों में तब्दील हो गया। देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू के जन्म स्थान मीरगंज में पहले तवायफों की महफि़ल सजती थी। नाच-गाना होता था, लेकिन आजादी के कुछ बरसों बाद मीरगंज की गलियों में जिस्मफरोशी का धंधा पूरे जोर से शुरू हो गया। आज पंडित नेहरू की जन्मस्थली मीरगंज की पहचान यूपी में जिस्मफरोशी के सबसे बड़े अड्डे के तौर पर होती है।
इलाहाबाद के सामाजिक कार्यकर्ता सुनील चौधरी ने नेहरू के जन्म स्थान से जिस्मफरोशी का धंधा बंद कराकर यहां पंडित नेहरू की मूर्ति लगाने, जन्म स्थली को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने के साथ मीरगंज मोहल्ले का सौंदर्यीकरण कराकर इसे नई पहचान दिलाने की मुहिम चला रखी है। इलाहाबाद जिला प्रशासन से कई बार गुहार लगाने के बाद भी जब कोई सुनवाई नहीं हुई तो सुनील चौधरी ने कुछ दिनों पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
जस्टिस तरुण अग्रवाल और जस्टिस पीसी त्रिपाठी की डिवीजन बेंच ने इस मामले की सुनवाई करते हुए सुनील चौधरी की मांगों को जायज करार दिया और इलाहाबाद के जिलाधिकारी को चार हफ्ते में उचित फैसला लेने को कहा है।