
वर्तमान में उक्त जज गवालियर में पदस्थ है। पीड़िता के मुताबिक वह 14 वर्षों से वकालत कर रही है। नामी फायनेंस कंपनियों, बैंक और ई-कॉमर्स कंपनियों की लीगल एडवाइजर है और हाल ही में अभिभाषक संघ की सदस्य भी चुनी गई है। कंपनियों के कोर्ट संबंधी काम के लिए उन्हें जिला जज ए.के. तिवारी की कोर्ट में पेश होना पड़ता है।
लिखित शिकायत में उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ समय पहले तिवारी ने बिना कारण कोर्ट में बुलाया। काफी देर खड़ा रखा और बोर्ड से अश्लील इशारे करते रहे। फोन पर बात करने के लिए भी दबाव बनाते रहे। एक बार चेंबर में बुलाया और कहा तुम बहुत सुंदर हो। वकालत में आगे बढ़ना हो तो शाम को बंगले पर आ जाना। बैठकर बात करेंगे। इंकार करने पर कई बार चेंबर में बुलाया।
पीड़िता ने शपथ पत्र में कहा कि उनकी हरकतों से घबरा कर उसने कोर्ट जाना बंद कर दिया। जज प्रभावशाली होने और वकालत खत्म होने के डर से मैं काफी अरसे तक चुप रही, लेकिन जब उनकी हरकतें बंद नहीं हुई तो 1 अप्रैल 2016 को धार के जिला बार एसोसिएशन को शिकायत की।
हम कुछ नहीं कर सकते: आईजी
धार जिला बार एसोसिएशन ने उक्त शिकायत हाई कोर्ट भेज दी है। हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के सचिव अनिल ओझा के मुताबिक मामला पुराना है। उसमें अभी कोई डेवलपमेंट नहीं है। उधर, आईजी का कहना है शिकायत मिली है लेकिन कार्यस्थल पर छेड़खानी की घटनाओं की जांच कोर्ट द्वारा गठित कमेटी करती है। इसमें हमारी कोई भूमिका नहीं है। पीड़िता को इसकी जानकारी दे दी गई है।
शिकायत वापस लेने का दबाव
पीड़िता ने बताया शिकायत के बाद से ही शिकायत वापस लेने के लिए दबाव बनाया जा रहा है, लेकिन मैं भी पुलिसकर्मी की बेटी हूं। मामले की हाई कोर्ट को भी शिकायत की है। मुझे न्याय की उम्मीद है। चार-पांच दिन पहले ही बयान दर्ज करवाने के लिए हाई कोर्ट से कॉल आया था।