
पनामा पेपर्स मामले में मध्य प्रदेश से जुड़ा यह तीसरा खुलासा हैं। इसके पहले इंदौर में नर्मदा प्रोजेक्ट के रिटायर्ड इंजीनियर प्रभाष सांखला और मंदसौर के कारोबारी विवेक जैन का नाम भी इस सूची में शामिल बताया गया था।
अंतर्राष्ट्रीय खोजी पत्रकार संघ (आईसीआईजे) और 100 से अधिक मीडिया संस्थानों द्वारा किए गए वैश्विक खुलासे को पनामा पेपर्स नाम दिया गया है। ये पनामा की कानूनी मामलों की कंपनी मोसाक फोंसेका के लीक हुए दस्तावेजों पर आधारित हैं। पनामा पेपर्स श्रृंखला के नए खुलासे में कहा गया है कि छह अरब डॉलर के रुचि समूह ने पनामा में कम से कम आठ विदेशी कंपनियां और दो निजी प्रतिष्ठान स्थापित किए थे। इसमें कहा गया है कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने भी अगस्त 2014 में कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाला मामले में रुचि समूह का नाम लिया था।
शाहरा ने मोसफोन के जरिए 10 हजार डाॅलर से फाउंडेशन शुरू किया था। इसके बाद इसमें एक-एक डाॅलर कीमत के 50-50 हजार शेयर पेगासुस होल्डिंग एंड इन्वेस्टमेंट लिमिटेड कंपनी और प्रूडेंशियल एसेट्स एंड कैपिटल लि. के नाम पर जारी किए गए।
लीक दस्तावेजों से पता चलता है कि शाहरा ने पनामा में थ्रीवेल्स फाउंडेशन और वन वर्ल्ड ट्रस्ट नाम से दो ट्रस्ट बनाए थे। थ्रीवेल्स फाउंडेशन के पब्लिक डीड पर एक अक्टूबर, 2009 और वन वर्ल्ड ट्रस्ट के डीड पर 22 अक्टूबर, 2008 को हस्ताक्षर किए गए थे। इन ट्रस्टों के माध्यम से विदेशों में आठ कंपनियां बनाकर कारोबार किया गया।