सरकारी सेवकों के शैक्षणिक योग्यता प्रमाण पत्र व्यक्तिगत सूचना के अंतर्गत आता है
भोपाल। राज्य सूचना आयोग ने स्पष्ट किया है कि लोक सेवकों के शैक्षणिक व अनुभव संबंधी दस्तावेजों को गोपनीय नहीं माना जा सकता है। आयोग ने कहा है कि लोक सेवकों की मार्कशीट, मूल निवासी, अनुभव प्रमाण-पत्र ऐसी व्यक्तिगत जानकारी की श्रेणी में नहीं आते, जिन्हें आरटीआई एक्ट की धारा 8(1) में प्रकट नहीं करने की छूट दी गई है।गिरीश रामचंद्र देशपांडे बनाम केंद्रीय सूचना आयोग - एसएलपी 277234/2012
सुप्रीम कोर्ट के गिरीश रामचंद्र देशपांडे बनाम केंद्रीय सूचना आयोग (एसएलपी 277234/2012) के आदेश में लोक सेवकों से जुड़ी व्यक्तिगत जानकारी को व्यापक लोकहित के अभाव में सार्वजनिक नहीं करने का फैसला दिया गया था, लेकिन इसमें शैक्षणिक व योग्यता संबंधी जानकारी को शामिल नहीं किया है।
लोक सेवकों से जुड़ी व्यक्तिगत जानकारी सार्वजनिक नहीं करने का फैसला
मुख्य सूचना आयुक्त केडी खान ने आदिवासी विकास आयुक्त सुरेंद्र सिंह भंडारी से जुड़ी एक आरटीआई अपील पर फैसला सुनाते हुए यह नजीर दी है। आयोग ने राज्य शासन को आदेश दिया है कि 30 दिन के अंदर आदिवासी विकास आयुुक्त सुरेंद्र सिंह भंडारी की दसवीं, बारहवीं, ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन की मार्कशीट, मूल निवासी और अनुभव प्रमाण-पत्रों की जानकारी आरटीआई आवेदनकर्ता को उपलब्ध कराई जाए।
आदिम जाति क्षेत्रीय विकास योजना कार्यालय में पदस्थ तृतीय श्रेणी कर्मचारी अजय जायसवाल ने दो साल पूर्व आरटीआई में यह जानकारी मांगी थी, लेकिन आदिवासी विकास आयुुक्त कार्यालय ने भंडारी के दस्तावेजों को व्यक्तिगत और गोपनीय करार देते हुए जानकारी देने से इनकार कर दिया था। एसएस भंडारी ने अपील पर सुनवाई के दौरान शैक्षणिक दस्तावेजों की जानकारी आरटीआई में मांगे जाने का विरोध करते हुए इसे निजता का उल्लंघन बताया था। साथ ही बिना व्यापक लोकहित के व्यक्तिगत जानकारी मांगे जाने पर ऐतराज जताया था, लेकिन सूूचना आयोग ने सभी दलीलों को खारिज कर दिया।
भंडारी ने आवेदक पर लगाया द्वेष रखने का आरोप
भंडारी ने आरटीआई अपील पर सुनवाई के दौरान आवेदक कर्मचारी अजय जायसवाल पर उनके प्रति द्वेष रखने का आरोप भी लगाया। भंडारी ने अपने लिखित जवाब में कहा है कि 15 अक्टूबर 2013 को कथित पत्रकार राजेंद्र राजपूत की आत्महत्या के मामले में उनके खिलाफ जहांगीराबाद थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई थी, जिसमें अजय जायसवाल ने उनके खिलाफ पुलिस में गवाही दी थी। लेकिन आरटीआई अपील से इस मामले में आयोग ने कोई संबंद्ध नहीं पाते हुए भंडारी की दलील को खारिज कर दिया।